महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया है कि गुजरात में टाटा-एअरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना स्थापित करने के सौदे पर केंद्र ने पिछले साल सितंबर में हस्ताक्षर किए थे जब राज्य में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार सत्ता में थी. राज्य के उद्योग मंत्री ने इस परियोजना पर ‘‘भ्रम'' पैदा करने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की. सामंत ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात में विमान विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर केंद्र ने सितंबर 2021 में हस्ताक्षर किए थे.उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना हो या टाटा-एअरबस परियोजना हो, इन परियोजना को कहां स्थापित किया जाए, इसका फैसला जून में राज्य में इस (एकनाथ शिंदे नीत) सरकार के सत्ता में आने से पहले लिया गया था. विपक्ष लोगों के बीच भ्रम फैलाने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा है.''
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यूरोपीय कंपनी एअरबस और भारतीय समूह टाटा का एक कंसोर्टियम (संघ) गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा. इस परियोजना के तहत पहली बार निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमान का निर्माण भारत में किया जाना है. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है. विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है.
इस घोषणा के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले धड़े और कांग्रेस ने राज्य में शिंदे-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना करते हुए सवाल किया कि यह परियोजना महाराष्ट्र के हाथ से कैसे निकल गई. सामंत ने कहा कि उन्होंने पहले इंटरव्यू में भी कहा था कि राज्य सरकार महाराष्ट्र में परियोजनाएं लाने का प्रयास करेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद परियोजना के संबंध में एमवीए सरकार द्वारा लिखा कोई पत्र नहीं मिला.''उन्होंने कहा कि अरबों रुपये की वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात चले जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में बड़ी परियोजना स्थापित करने का आश्वासन दिया है.उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि राज्य में पांच-छह महीने में एक बड़ी परियोजना लायी जाएगी.''गौरतलब है कि पिछले महीने वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फॉक्सकॉन की संयुक्त सेमीकंडक्टर परियोजना गुजरात में स्थापित करने की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. पहले यह परियोजना पुणे शहर के समीप स्थापित की जानी थी.
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