हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस (Women's Equality Day) मनाया जाता है. इसी दिन संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वें संविधान संशोधन के जरिए महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया. इसी संशोधन के तहत महिलाओं को पुरुषों की तरह वोट देने का अधिकार भी दिया गया. अब महिला समानता दिवस का जश्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. महिलाओं की आजादी और समानता के प्रति समाज को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजित किया जाता है. इस मौके पर तमाम संगठन और संस्थान वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला प्रदर्शनी और संगोष्ठी का आयोजन करते हैं.
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महिला समानता दिवस का इतिहास
अमेरिकी कांग्रेस ने 26 अगस्त 1971 में महिला समानता दिवस (Women's Equality Day) के रूप में मनाने का ऐलान किया. इसी दिन अमेरिकी संविधान में हुए 19वें संशोधन के तहत महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया था. यह दिवस इसी ऐतिहासिक घोषण की याद में मनाया जाता है. यह वह दिन था जब पहली बार अमेरिकी महिलाओं को पुरुषों की तरह वोट देने का अधिकारा दिया गया. इसके पहले वहां महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिक का दर्जा प्राप्त था. महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली एक महिला वकील बेल्ला अब्ज़ुग के प्रयास से 1971 से 26 अगस्त को 'महिला समानता दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा.
भारत में महिलाओं की स्थिति
भारत में आजादी के बाद से ही महिलाओं को पुरुषों के समान वोट देने का अधिकार जरूर मिला लेकिन उनकी स्थिति बेहद विचारणीय है. हालांकि भारतीय महिलाओं ने हर मोर्चे पर अपनी कामयाबी का परचम लहराया है, लेकिन अब भी ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जो अपने घर और समाज में असमानता और भेदभाव का शिकार हैं. ज्यादातर घरों में बचपन से ही लड़का-लड़की का फर्क किया जाता है. जहां लड़के की परवरिश में कोई कमी नहीं रखी जाती, वहीं लड़कियों की मूलभूत जरूरतों को भी पूरा नहीं किया जाता. लैंगिक अनुपात में बड़ा अंतर इस बात का सबसे बड़ा सबूत है. हर साल महिला दिवस और महिला समानता दिवस तो खूब मनाया जाता है, लेकिन आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमतर ही आंका जाता है.
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