Plastic rapping parenting : प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग का मतलब सिर्फ़ बच्चों की सुरक्षा करना नहीं है; इसका मतलब है उन्हें अति-सुरक्षा के घेरे में रखना. कल्पना कीजिए कि एक माता-पिता अपने बच्चे को प्लास्टिक की परतों में सावधानीपूर्वक लपेट रहे हैं, ताकि उन्हें हर संभावित नुकसान या परेशानी से बचाया जा सके. बच्चों का पालन पोषण प्लास्टिक रैपिंग तरीके से करना कितना सही है, इसी के बारे में आज हम बात करेंगे आर्टिकल में, ताकि आप भी अपने बच्चे के लिए सही निर्णय ले सकें.
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प्लास्टिक रैपिंग पेरेंटिंग स्टाइल क्या है
सबसे पहले समझते यह पेरेंटिग स्टाइल क्या है. बच्चों को संभावित खतरों से बचाने के लिए माता-पिता का चरम सीमा तक जाना, बच्चों के खान-पान से लेकर उनके सामाजिक संबंधों और पसंद न पसंद पर अत्यधिक नियंत्रण रखना, लगातार बच्चों के आस-पास मंडराते रहना, अनुभव से ज्यादा सफलता पर फोकस करना; इस पेरेंटिंग के लक्षण होते हैं.
प्लास्टिक रैपिंग पेरेंटिंग स्टाइल बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?
आपको बता दें कि यह पेरेंटिंग स्टाइल बच्चों को अपने निर्णय लेने में कठिनाई महसूस कराता है. ओवरप्रोटेक्टिव माहौल में पले बढ़े होने के कारण बच्चा नए महौल में संतुलन नहीं बना पाता है. उसके अंदर फ्लैक्सिबिलिटी की कमी आ जाती है. वहीं प्लास्टिक रैपिंग स्टाइल बच्चों को सामाजिक संबंध विकसित करने में बाधा पैदा कर सकता है. ऐसे बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर होता है. इस स्टाइल में पले बढ़े बच्चे दब्बू हो जाते हैं, लोगों के सामने खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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