नई दिल्ली:
इनसिक्योरिटी... कितना गंभीर शब्द है न. आज के दौर में ज्यादातर लोग इनसिक्योर हैं. कोई साथी को लेकर तो कोई अपने ब्वॉयफ्रेंड को लेकर, कोई दूसरों के स्टेटस को लेकर इनसिक्योर हैं तो कोई ऑफिस में अपना पद चले जाने को लेकर इनसिक्योर है. हालात ये हैं कि लोग इसके लिए किसी भी चीज को दांव पर लगाने को तैयार हैं.. भले ही फिर ये चीज या इंसान आपका साथी, बच्चे या फिर माता-पिता ही क्यों न हों. पर सवाल ये है कि ये इनसिक्योरिटी इंसान के अंदर आती क्यों है. आइए जानते हैं इसके कुछ कारण..
कहीं पीछे ना रह जाऊं
इनसिक्योर लोगों के दिमाग में हमेशा यह बात चलती रहती है कि कहीं वे अपने सहकर्मियों से किसी भी मामले में पीछे ना रह जाएं.किसी दूसरे सहकर्मी की तारीफ और उपलब्धी पर उनके चेहरे पर एक नाटकीय हंसी देखने को मिलेगी.लेकिन इस समय उनके भीतर असुरक्षा की भावना चरम बिंदू पर पहुंच चुकी होती है.
सबके बारे में सबकुछ जानना है इन्हें
कुछ लोग अपने आसपास के लोगों के बारे में सबकुछ जानने के लिए बेचैन रहते हैं.बॉस ने तुमसे क्या बात की? कल में छुट्टी पर थी, तो ऑफिस में क्या हुआ? कहीं कोई मेरे बारे में तो बात नहीं कर रहा था? कल की तेरी क्या प्लानिंग है? ये टॉप बहुत अच्छा लग रहा है, कहां से लिया? तुम्हारा सैलरी कितनी बढ़ी? इस बेचैनी के कई बार इनकी रातों की नींद भी उड़ जाती है.ऐसे लोग इनसिक्योरिटी के टॉप लेवल पर पहुंच चुके होते हैं.
हां, मुझे पहले से पता है
अगर आप इन्हें कोई बात बताएंगे, तो आमतौर पर इनका जवाब होता है- अरे, मुझे यह बात पहले से ही पता थी.हालांकि उन्हें यह बात पहले नहीं पता होती, लेकिन वे दूसरे के सामने खुद को नीचा नहीं दिखाना चाहते.वे यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि दूसरा उनसे ज्यादा कैसे जानता है.
पजेसिव भी है वजह
किसी खास के लिए पजेसिव होना भी इनसिक्योरिटी की एक वजह हो सकती है.आमतौर पर ऐसी इनसिक्योरिटी प्रेमिकाओं या पत्नियों में देखने को मिलती है.इन्हें डर होता है कि कहीं उनका पार्टनर उन्हें धोखा ना दे दे.
कहीं पीछे ना रह जाऊं
इनसिक्योर लोगों के दिमाग में हमेशा यह बात चलती रहती है कि कहीं वे अपने सहकर्मियों से किसी भी मामले में पीछे ना रह जाएं.किसी दूसरे सहकर्मी की तारीफ और उपलब्धी पर उनके चेहरे पर एक नाटकीय हंसी देखने को मिलेगी.लेकिन इस समय उनके भीतर असुरक्षा की भावना चरम बिंदू पर पहुंच चुकी होती है.
सबके बारे में सबकुछ जानना है इन्हें
कुछ लोग अपने आसपास के लोगों के बारे में सबकुछ जानने के लिए बेचैन रहते हैं.बॉस ने तुमसे क्या बात की? कल में छुट्टी पर थी, तो ऑफिस में क्या हुआ? कहीं कोई मेरे बारे में तो बात नहीं कर रहा था? कल की तेरी क्या प्लानिंग है? ये टॉप बहुत अच्छा लग रहा है, कहां से लिया? तुम्हारा सैलरी कितनी बढ़ी? इस बेचैनी के कई बार इनकी रातों की नींद भी उड़ जाती है.ऐसे लोग इनसिक्योरिटी के टॉप लेवल पर पहुंच चुके होते हैं.
हां, मुझे पहले से पता है
अगर आप इन्हें कोई बात बताएंगे, तो आमतौर पर इनका जवाब होता है- अरे, मुझे यह बात पहले से ही पता थी.हालांकि उन्हें यह बात पहले नहीं पता होती, लेकिन वे दूसरे के सामने खुद को नीचा नहीं दिखाना चाहते.वे यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि दूसरा उनसे ज्यादा कैसे जानता है.
पजेसिव भी है वजह
किसी खास के लिए पजेसिव होना भी इनसिक्योरिटी की एक वजह हो सकती है.आमतौर पर ऐसी इनसिक्योरिटी प्रेमिकाओं या पत्नियों में देखने को मिलती है.इन्हें डर होता है कि कहीं उनका पार्टनर उन्हें धोखा ना दे दे.
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