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This Article is From Dec 11, 2017

महिलाओं के लिए फायदेमंद है गोभी, दिलाए ब्रेस्‍ट कैंसर से छुटकारा

सोयाबीन प्रोडक्‍ट जैसे सोया दूध, पनीर और क्रूसिफेरस सब्जियां जैसे बंदगोभी, पत्तागोभी और हरी फूलगोभी खाने से ब्रेस्‍ट कैंसर के इलाज के साइडइफेक्‍ट्स से बचा जा सकता है.

महिलाओं के लिए फायदेमंद है गोभी, दिलाए ब्रेस्‍ट कैंसर से छुटकारा
ब्रेस्‍ट कैंसर के इलाज के साइडइफेक्‍ट्स को कम करती हैं क्रूसिफेरस सब्जियां
नई द‍िल्‍ली: बदलती लाइफस्‍टाइल के साथ महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा भी बढ़ गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मुताबिक, भारतीय महिलाओं में छोटी उम्र में ही स्तन कैंसर होने लगा है. इसके कुछ लक्षणों में ब्रेस्‍ट या बगल में गांठ बन जाना, ब्रेस्‍ट के निप्पल से खून आना, ब्रेस्‍ट की स्‍किन पर नारंगी धब्बे पड़ना, ब्रेस्‍ट में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना प्रमुख हैं. अगर लाइफस्‍टाइल और खाने-पीने की आदतों में कुछ बदलाव किए जाएं तो काफी हद तक इस बीमारी के खतरे को दूर किया जा सकता है. 

तो पुरुषों को भी हो सकता है ब्रेस्‍ट कैंसर

सोयाबीन प्रोडक्‍ट जैसे सोया दूध, पनीर और क्रूसिफेरस सब्जियां जैसे बंदगोभी, पत्तागोभी और हरी फूलगोभी खाने से ब्रेस्‍ट कैंसर के इलाज के साइडइफेक्‍ट्स से बचा जा सकता है. बार-बार ब्रेस्‍ट कैंसर न हो इसके लिए शरीर में एस्ट्रोजेन नाम के हार्मोन के प्रोडक्‍शन और इस्‍तेमाल को रोक दिया जाता है क्योंकि इस हार्मोन से ब्रेस्‍ट कैंसर के फोड़े के विकास को बल मिलता है. इससे मरीज के शरीर में गर्मी और उबाल सा महसूस होता है तो रात में पसीने आते हैं और रजोनिवृत्ति यानी कि Menopause के बाद होने वाले दुष्प्रभावों में ये सामान्य बातें हैं.
 
cabbage

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर की स्‍टडी के नतीजे बताते हैं कि क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स और सोयाबीन से बनी खाने की चीजों का इस्‍तेमाल करने से मरीजों में Menopuse के लक्षण कम देखने को मिले. यही नहीं, ज्यादा सोयाबीन प्रोडक्‍ट्स खाने वाले मरीजों में कम थकान की रिपोर्ट मिली. 


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रिसर्च करने वाले साइंटिस्‍टों  के मुताबिक पादप रसायन या जैव सक्रिय भोजन के अवयव जैसे-सोयाबीन के खाद्य उत्पाद में आईसोफ्लेवन्स और क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स में पाए जाने वाले ग्लूकोसिनोलेट्स फायदे के स्रोत हो सकते हैं. 
 
soyabean

आईसोफ्लवन्स से एस्ट्रोजन ग्राही में बंद हो जाता है और इस तरह दुर्बल एस्ट्रोजेनिक प्रभाव कार्य करता है. वहीं, क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स में मौजूद ग्लूकोसिनोलेट्स से उपापचय में शामिल पाचक रस (मेटाबोलाइजिंग इंजाइम्स) के स्तर पर असर पड़ता है. इससे सूजन और एस्ट्रोजेन के स्तर व्यवस्थित होते हैं और उपचार संबंधी लक्षण संभवतया कम होते हैं. 

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के लोमबार्डी कांप्रिहेन्सिव कैंसर सेंटर की इस रिसर्च के प्रमुख लेखक सारा ओपनीयर नोमूरा ने बताया कि यह स्‍टडी इलाज के दुष्प्रभावों से संबंधित लाइफस्‍टाइल के कारकों जैसे- खानपान की आदतों की संभावित भूमिका पर शोध की मुख्य कमी को दूर करता है.
 
soya milk

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ब्रेस्ट कैंसर रिचर्स एंड ट्रीटमेंट में प्रकाशित इस रिसर्च स्‍टडी में 173 गैर-हिस्पेनिक व्‍हाइट और 192 चीनी मूल के अमेरिकी महिलाओं को शामिल किया गया था. 

स्‍टडी में ज्यादा सोयाबीन प्रोडक्‍ट का सेवन करने वाली महिलाओं में जोड़ में दर्द की तकलीफें, बाल कम होने या झड़ने और याद्दाश्त की समस्याएं कम देखने को मिली. 

अनुसंधानकर्ताओं ने इस मामले में यह चेतावनी दी है कि जब तक और ज्यादा अध्ययन नहीं किया जाता तब तक मरीजों को एकदम से सोया प्रोडक्‍ट खाना शुरू नहीं करना चाहिए. हां अगर पहले किसी ने इसका उपयोग किया है तो कोई दिक्कत नहीं है.

VIDEO: ब्रेस्‍ट कैंसर से कैसे बचें साभार: DoctorNDTV

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