राष्ट्रीय राजधानी की आबोहवा इस वक्त सभी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण जब हवा के जरिए हमारे फेफड़ों में प्रवेश करते हैं तो यह न केवल हमारी सेहत पर असर डालते हैं बल्कि इस दुनिया में आंखें खोलने से पहले ही गर्भ में पल रहे शिशुओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है.
एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान जो माताएं वायु प्रदूषण की चपेट में आती हैं उनके छह माह की आयु के शिशुओं में तनाव की स्थिति में हृदय गति कम हो जाती है.
पत्रिका एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जन्म से पहले दूषित हवा में सांस लेने वाली माताओं के छह माह के शिशुओं में हृदय गति पर असर पड़ सकता है.
अमेरिका में माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 237 माताओं और उनके शिशुओं का अध्ययन किया और उनकी गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के स्तर का पता लगाने के लिए उपग्रह से मिले डेटा और वायु प्रदूषण निगरानी तंत्र का इस्तेमाल किया.
उन्होंने बताया कि हृदय तथा रक्तवाहिका संबंधी, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्रों के उचित तरीके से काम करने को सुनिश्चित करने के लिए तनावपूर्ण स्थितियों में हृदय गति को बरकरार रखना अनिवार्य है.
अध्ययन में कहा गया है कि हृदय गति में परिवर्तन होते रहना बाद के जीवन में मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए खतरे की बात है.
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