DNA की मरम्मत में होगी मुश्किल अगर करते हैं रात में काम
न्यूयॉर्क:
अगर आप नियमित तौर पर नाइट शिफ्ट (रात्रि पाली) में काम करते हैं तो आपके शरीर के डीएनए की मरम्मत में बाधा आ सकती है. भारतीय मूल के एक शोधकर्ता की अगुवाई में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है. निष्कर्ष बताते हैं कि रात्रि पाली में काम करने से नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के स्राव पर असर पड़ता है.
यह बात सामने आई है कि रात की पाली में काम करने वालों में उनके दिन में काम करने वाले समकक्षों की तुलना में पेशाब में सक्रिय डीएनए ऊतकों की मरम्मत करने वाले रसायन का उत्पादन कम होता है. इस रसायन को 8-ओएच-डीजी कहते हैं.
शोध में कहा गया है कि इससे कोशिकीय क्षति की मरम्मत की क्षमता में कमी का संकेत मिलता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अंतर के पीछे नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के रात में उत्पादन की अपेक्षा दिन में कम उत्पादन होना है.
फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर वाशिंगटन के प्रवीन भाटी ने कहा, "हमारे नतीजों से संकेत मिलता है कि रात के सोने के अपेक्षा, रात में काम करने वालों में मूत्र उत्सर्जन में 8-ओएच-डीजी की मात्रा में खास तौर से कमी आ जाती है."
उन्होंने कहा, "यह दिखाता है कि यह मेलाटोनिन के अपर्याप्त स्तर के कारण ऑक्सीकारक डीएनए के नुकसान की मरम्मत में कमी को दिखाता है, इससे डीएनए को उच्च स्तर पर नुकसान पहुंच सकता है."
न्यूज आईएएनएस से इनपुट
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह बात सामने आई है कि रात की पाली में काम करने वालों में उनके दिन में काम करने वाले समकक्षों की तुलना में पेशाब में सक्रिय डीएनए ऊतकों की मरम्मत करने वाले रसायन का उत्पादन कम होता है. इस रसायन को 8-ओएच-डीजी कहते हैं.
शोध में कहा गया है कि इससे कोशिकीय क्षति की मरम्मत की क्षमता में कमी का संकेत मिलता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अंतर के पीछे नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के रात में उत्पादन की अपेक्षा दिन में कम उत्पादन होना है.
फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर वाशिंगटन के प्रवीन भाटी ने कहा, "हमारे नतीजों से संकेत मिलता है कि रात के सोने के अपेक्षा, रात में काम करने वालों में मूत्र उत्सर्जन में 8-ओएच-डीजी की मात्रा में खास तौर से कमी आ जाती है."
उन्होंने कहा, "यह दिखाता है कि यह मेलाटोनिन के अपर्याप्त स्तर के कारण ऑक्सीकारक डीएनए के नुकसान की मरम्मत में कमी को दिखाता है, इससे डीएनए को उच्च स्तर पर नुकसान पहुंच सकता है."
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