नई दिल्ली:
दुनिया भर में हर साल 'मां' के सम्मान में 'मदर्स डे' मनाया जाता है। हम सभी को दुनिया में लाने वाली 'मां' का कर्ज किसी भी धन-दौलत से नहीं चुकाया जा सकता। जब भी बच्चों पर कोई मुसीबत आती है तो सबसे आगे रक्षा के लिए मां ही खड़ी नजर आती है। एक बच्चा आगे जा कर जिंदगी में नाम कमाता है या नहीं ये भी काफी हद तक मां पर ही निर्भर करता है। मदर्स-डे के इस मौके पर आइए जानते हैं मां और बच्चे के अनूठे रिश्ते से जुड़ी कुछ अहम बातें... सुरक्षित नींव
कुछ स्टडीज की माने तो जो बच्चे अपनी मां की छत्र-छाया में पलते-बड़ते हैं उनको अपने जीवन में ज्यादा महफूज होने का अहसास होता है। साथ ही उनमें लाइफ में आने वाले चैलेंजेस से लड़ने की अधिक क्षमता होती है। कितना मजबूत होता है मां-बच्चे का रिश्ता
रिसर्च के मुताबिक मां और बच्चे की बॉन्डिंग के बारे में अगर करीब से जानना है तो इसके लिए बच्चे के स्कूल व रिलेशनशि के बर्ताव को परखना चाहिए। अगर बच्चा अपने स्कूल में सही बर्ताव करता है, रिलेशनशिप की बुनियाद ठीक से रखता है और मुश्किल घड़ी का सामना भी संयम के साथ करता है तो समझ लिजिए कि अपनी मां के साथ उसका रिश्ता बेहद मजबूत है। मिलता है कॉन्फिडेंस
मां और बच्चे के बीच का रिश्ता जितना मजबूत हो बच्चे के लिए उतना ही बेहतर होता है। कहते हैं मां और बच्चे की अटूट बॉन्डिंग से बच्चों में कॉन्फिडेंस के साथ-साथ सकारात्मक सोच भी आती है। जल्दी हो जाते हैं आत्मनिर्भर
जीवन में आगे बढ़ने के लिए मां के दुलार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। बताया जाता है कि जिन नवजातों की अपनी मां के साथ गहरी बॉन्डिंग होती हैं वह जल्दी आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। साथ ही इससे उनका सेल्फ-एस्टीम भी बढ़ता है। क्यों है अहम
बच्चे के लालनपालन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी मां का प्यार होता है। अगर उसे यह प्यार मिलता है तो इससे उसकी पूरी पर्सनॉलटी का सही ढंग से विकास होता है।
कुछ स्टडीज की माने तो जो बच्चे अपनी मां की छत्र-छाया में पलते-बड़ते हैं उनको अपने जीवन में ज्यादा महफूज होने का अहसास होता है। साथ ही उनमें लाइफ में आने वाले चैलेंजेस से लड़ने की अधिक क्षमता होती है।
रिसर्च के मुताबिक मां और बच्चे की बॉन्डिंग के बारे में अगर करीब से जानना है तो इसके लिए बच्चे के स्कूल व रिलेशनशि के बर्ताव को परखना चाहिए। अगर बच्चा अपने स्कूल में सही बर्ताव करता है, रिलेशनशिप की बुनियाद ठीक से रखता है और मुश्किल घड़ी का सामना भी संयम के साथ करता है तो समझ लिजिए कि अपनी मां के साथ उसका रिश्ता बेहद मजबूत है।
मां और बच्चे के बीच का रिश्ता जितना मजबूत हो बच्चे के लिए उतना ही बेहतर होता है। कहते हैं मां और बच्चे की अटूट बॉन्डिंग से बच्चों में कॉन्फिडेंस के साथ-साथ सकारात्मक सोच भी आती है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए मां के दुलार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। बताया जाता है कि जिन नवजातों की अपनी मां के साथ गहरी बॉन्डिंग होती हैं वह जल्दी आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। साथ ही इससे उनका सेल्फ-एस्टीम भी बढ़ता है।
बच्चे के लालनपालन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी मां का प्यार होता है। अगर उसे यह प्यार मिलता है तो इससे उसकी पूरी पर्सनॉलटी का सही ढंग से विकास होता है।
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