रिश्ते को बचाने के लिए जरूरी है नेगोशिएशन
नई दिल्ली:
टेक्नोलॉजी ने हमें मॉडर्न बनाने के साथ ही काफी 'पिकी' भी बना दिया है. यानी अगर हमें कोई चीज़ नहीं पसंद तो हम उसे लेफ्ट स्वाइप कर हटा देते हैं. अगर कुछ ठीक न लगे या पसंद न आए तो हम उसे बदल देते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है हमारे रिलेशनशिप के साथ भी. जब हमें हमारे रिलेशनशिप में भी वो नही मिलता जो हमें चाहिए, तो हम यहां भी अपनी पसंद बदल लेते हैं. आजकल के रिलेशनशिप में कॉम्प्रोमाइज़ करने जैसा कुछ नहीं बचा है. क्य़ोंकि हम इससे पहले मूव ऑन करना पसंद करते हैं.
कुछ लड़कों को होती है ब्रेकअप की आदत, कैसे पहचाने ऐसे लड़कों को
लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. हमारे पेरेंट्स की जनरेशन में 30 से 40 साल तक शादी का टिकना कोई बड़ी बात नही थी. वहीं, आजकल शादियों के टूटने का सबसे बड़ा कारण है कॉम्प्रोमाइज़ न करना. आजकल आपसी बातचीत से सब कुछ ठीक करने या फिर सुलझाने के बजाय हम लोग अलग रहना पसंद करते हैं. रिश्तों को टूटने की कगार पर लाने वाली सीमा को हम अनदेखा करने लगे हैं. यह न सिर्फ हमारे रिलेशनशिप के लिए हानिकारक है बल्कि खुद के लिए भी नुकसानदेय है.
तो क्या आजकल के मॉडर्न रिलेशनशिप में कॉम्प्रोमाइज़ संभव है?
रिलेशनशिप काउंसलर डॉक्टर मीनू भोंसले के मुताबिक, 'आजकल 'कॉम्प्रोमाइज़' शब्द का अर्थ मॉडर्न कपल खुद की हार की तरह लेते हैं. ऐसे में इनके लिए 'नेगोसिएशन' शब्द बिल्कुल ठीक होगा. क्योंकि इससे दोनों को ही ऐसा नहीं लगेगा कि वो एक-दूसरे से हार रहे हैं. ऐसे में छोटे-मोटे मसलों में हार-जीत को आसानी से सुलझाया जा सकेगा. लेकिन बात जब कॉम्प्रोमाइज़ की आती है तो ऐसे में सिर्फ दोनों की आपसी समझ से ही मामला सुलझ सकता है.'
वो गुस्से में हैं तो अपनाएं ये टिप्स
डॉक्टर मीनू का कहना है कि 'कॉम्प्रोमाइज़' भी कोई बड़ा विषय नहीं है. अगर दोनों पार्टनर की समझ एक जैसी हो यानी अगर दोनों तरफ से ही अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश हो तो 'कॉम्प्रोमाइज़' संभव है. इसके लिए बस दोनों को नेगोशिएट करने का मन होना चाहिए.
अपने रिश्ते को बनाना है बेस्ट, तो अपनाएं ये टिप्स
रिलेशनशिप में हमेशा यह याद रखिए कि यह कोई स्कोर कार्ड नहीं जहां जीतकर आपको नंबर बढ़ाने हैं. नेगोसिएशन का प्रोसेसआपके रिलेशनशिप को ठीक करने का सिर्फ एक माध्यम है. जिसके बाद आप दोनों एक बार फिर से खुशी-खुशी रह सकें. इस प्रोसेस का मकसद आपकी इच्छाओं या आपके सपनों को एक बार फिर से पॉज़िटिव एनर्जी देना होता है. ताकि आप दोनों हमेशा अपने सपनों और इच्छाओं के साथ फिर से अपने पार्टनर के साथ हंसी-खुशी रह सकें.
आपको बता दें कि डॉक्टर मीनू मुंबई के हार्ट काउंसलिंग सेंटर में एक सीनियर कंसलटिंग साइकोथेरेपिस्ट और रिलेशनशिप काउंसल हैं. वो वहां पिछले तीस सालों से कपल्स के बिगड़े रिश्तों को सुलझा रही हैं.
VIDEO: सोशल मीडिया से जुड़े, समाज से अलग हो गए
कुछ लड़कों को होती है ब्रेकअप की आदत, कैसे पहचाने ऐसे लड़कों को
लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. हमारे पेरेंट्स की जनरेशन में 30 से 40 साल तक शादी का टिकना कोई बड़ी बात नही थी. वहीं, आजकल शादियों के टूटने का सबसे बड़ा कारण है कॉम्प्रोमाइज़ न करना. आजकल आपसी बातचीत से सब कुछ ठीक करने या फिर सुलझाने के बजाय हम लोग अलग रहना पसंद करते हैं. रिश्तों को टूटने की कगार पर लाने वाली सीमा को हम अनदेखा करने लगे हैं. यह न सिर्फ हमारे रिलेशनशिप के लिए हानिकारक है बल्कि खुद के लिए भी नुकसानदेय है.
तो क्या आजकल के मॉडर्न रिलेशनशिप में कॉम्प्रोमाइज़ संभव है?
रिलेशनशिप काउंसलर डॉक्टर मीनू भोंसले के मुताबिक, 'आजकल 'कॉम्प्रोमाइज़' शब्द का अर्थ मॉडर्न कपल खुद की हार की तरह लेते हैं. ऐसे में इनके लिए 'नेगोसिएशन' शब्द बिल्कुल ठीक होगा. क्योंकि इससे दोनों को ही ऐसा नहीं लगेगा कि वो एक-दूसरे से हार रहे हैं. ऐसे में छोटे-मोटे मसलों में हार-जीत को आसानी से सुलझाया जा सकेगा. लेकिन बात जब कॉम्प्रोमाइज़ की आती है तो ऐसे में सिर्फ दोनों की आपसी समझ से ही मामला सुलझ सकता है.'
वो गुस्से में हैं तो अपनाएं ये टिप्स
डॉक्टर मीनू का कहना है कि 'कॉम्प्रोमाइज़' भी कोई बड़ा विषय नहीं है. अगर दोनों पार्टनर की समझ एक जैसी हो यानी अगर दोनों तरफ से ही अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश हो तो 'कॉम्प्रोमाइज़' संभव है. इसके लिए बस दोनों को नेगोशिएट करने का मन होना चाहिए.
अपने रिश्ते को बनाना है बेस्ट, तो अपनाएं ये टिप्स
रिलेशनशिप में हमेशा यह याद रखिए कि यह कोई स्कोर कार्ड नहीं जहां जीतकर आपको नंबर बढ़ाने हैं. नेगोसिएशन का प्रोसेसआपके रिलेशनशिप को ठीक करने का सिर्फ एक माध्यम है. जिसके बाद आप दोनों एक बार फिर से खुशी-खुशी रह सकें. इस प्रोसेस का मकसद आपकी इच्छाओं या आपके सपनों को एक बार फिर से पॉज़िटिव एनर्जी देना होता है. ताकि आप दोनों हमेशा अपने सपनों और इच्छाओं के साथ फिर से अपने पार्टनर के साथ हंसी-खुशी रह सकें.
आपको बता दें कि डॉक्टर मीनू मुंबई के हार्ट काउंसलिंग सेंटर में एक सीनियर कंसलटिंग साइकोथेरेपिस्ट और रिलेशनशिप काउंसल हैं. वो वहां पिछले तीस सालों से कपल्स के बिगड़े रिश्तों को सुलझा रही हैं.
VIDEO: सोशल मीडिया से जुड़े, समाज से अलग हो गए
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं