विज्ञानियों ने आगाह किया कि ज़रूरत से कम नींद लेने से मानव शरीर में अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य विकार पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है...
लंदन:
विज्ञानियों ने आगाह किया कि ज़रूरत से कम नींद लेने से मानव शरीर में अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य विकार पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है.
इटली के मार्के पोलीटेक्नीक विश्वविद्यालय (Marche Polytechnic University) में अनुसंधानकर्ताओं, यानी शोधकर्ताओं ने चूहों के दो समूहों को विशेष परिस्थितियों में रखकर उनके मस्तिष्क का अध्ययन किया. चूहों के एक समूह को उनकी इच्छा के अनुसार जब तक चाहे सोने दिया गया या दूसरे शब्दों में सिर्फ आठ घंटे तक जगाया गया. दूसरे समूह को पांच दिन तक लगातार जगाकर रखा गया.
इस अध्ययन की 'न्यू साइंटिस्ट' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन में पाया कि अबाधित नींद लेने वाले चूहों के मस्तिष्क के साइनैप्स (synapse) में एस्ट्रोसाइट (astrocytes) करीब छह फीसदी सक्रिय पाए गए. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कम सोने वाले चूहों में एस्ट्रोसाइट करीब आठ फीसदी सक्रिय पाया गया. वहीं बिल्कुल नहीं सोने वाले चूहों में यह स्तर 13.5 प्रतिशत रहा.
गौरतलब है कि एस्ट्रोसाइट मस्तिष्क में अनावश्यक अंतर्ग्रंथियों को अलग करने का काम करता है. मार्के पोलीटेक्नीक विश्वविद्यालय की मिशेल बेलेसी ने कहा, "हमने पहली बार दिखाया है कि नींद की कमी के चलते एस्ट्रोसाइट वास्तव में साइनैप्सेज़ के हिस्सों को खाने लगते हैं..." उन्होंने कहा, "कम अवधि में इस प्रक्रिया से निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है, लेकिन लम्बी अवधि के संदर्भ में यह आदत अल्ज़ाइमर और अन्य मस्तिष्क विकारों के खतरे को बढ़ा देती है..."
(इनपुट प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से)
इटली के मार्के पोलीटेक्नीक विश्वविद्यालय (Marche Polytechnic University) में अनुसंधानकर्ताओं, यानी शोधकर्ताओं ने चूहों के दो समूहों को विशेष परिस्थितियों में रखकर उनके मस्तिष्क का अध्ययन किया. चूहों के एक समूह को उनकी इच्छा के अनुसार जब तक चाहे सोने दिया गया या दूसरे शब्दों में सिर्फ आठ घंटे तक जगाया गया. दूसरे समूह को पांच दिन तक लगातार जगाकर रखा गया.
इस अध्ययन की 'न्यू साइंटिस्ट' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन में पाया कि अबाधित नींद लेने वाले चूहों के मस्तिष्क के साइनैप्स (synapse) में एस्ट्रोसाइट (astrocytes) करीब छह फीसदी सक्रिय पाए गए. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कम सोने वाले चूहों में एस्ट्रोसाइट करीब आठ फीसदी सक्रिय पाया गया. वहीं बिल्कुल नहीं सोने वाले चूहों में यह स्तर 13.5 प्रतिशत रहा.
गौरतलब है कि एस्ट्रोसाइट मस्तिष्क में अनावश्यक अंतर्ग्रंथियों को अलग करने का काम करता है. मार्के पोलीटेक्नीक विश्वविद्यालय की मिशेल बेलेसी ने कहा, "हमने पहली बार दिखाया है कि नींद की कमी के चलते एस्ट्रोसाइट वास्तव में साइनैप्सेज़ के हिस्सों को खाने लगते हैं..." उन्होंने कहा, "कम अवधि में इस प्रक्रिया से निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है, लेकिन लम्बी अवधि के संदर्भ में यह आदत अल्ज़ाइमर और अन्य मस्तिष्क विकारों के खतरे को बढ़ा देती है..."
(इनपुट प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से)
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