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बदलते समाज का नया ट्रेंड...होबोसेक्सुअलिटी डेटिंग, शहरों में तेजी से बढ़ रहा ये चलन

Hobosexual relationship: महानगरों में बढ़ती घरों की कीमत और अकेलापन होबोसेक्सुअलिटी ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं. यह रिश्ते प्यार से ज्यादा सुविधा और आश्रय पर आधारित होते हैं.

बदलते समाज का नया ट्रेंड...होबोसेक्सुअलिटी डेटिंग, शहरों में तेजी से बढ़ रहा ये चलन
क्या वाकई ये सच्चा प्यार है या पूरी की जाती हैं सिर्फ अपनी जरूरत?

Urban Relationship Trends: भारत का समाज तेजी से बदल रहा है. महानगरों में जहां वेस्टर्न कल्चर का असर साफ दिखता है, वहीं अब रिलेशनशिप्स का रंग भी बदल रहा है. इसी बदलाव की एक मिसाल है होबोसेक्सुअलिटी (Hobosexuality) – एक ऐसा रिश्ता जहां पार्टनर प्यार से ज्यादा रहने की जगह पाने के लिए साथ आता है.

आखिर होबोसेक्सुअलिटी है क्या? (what is hobosexuality)

होबोसेक्सुअलिटी में व्यक्ति अपने पार्टनर पर आर्थिक और इमोशनल रूप से निर्भर रहता है, बिना ज्यादा योगदान दिए. इसे महज एक स्लैंग न मानें, क्योंकि यह ट्रेंड भारत के शहरी इलाकों में तेजी से उभर रहा है. बढ़ते किराए और घर की आसमान छूती कीमतों ने इसे और हवा दी है.

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पश्चिम से भारत तक का सफर (modern dating India)

होबोसेक्सुअल शब्द वेस्टर्न इंटरनेट कल्चर से आया है, जहां इसे ऐसे इंसानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जो केवल रहने की जगह पाने के लिए रिश्ते में आते हैं. अब भारत के मेट्रो सिटीज – मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु – में भी यह आम होता जा रहा है. रियल एस्टेट की महंगाई और मॉडर्न डेटिंग कल्चर ने मिलकर इस ट्रेंड को और मजबूत बना दिया है.

इमोशनल जाल और पावर का असंतुलन (emotional trap relationship)

कई बार होबोसेक्सुअल रिश्ते शुरुआत में रोमांटिक लगते हैं. पार्टनर प्यार और अटेंशन से आपको जल्दी करीब लाता है, लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आती है. किराए का बोझ, घर का खर्च और इमोशनल जिम्मेदारी एकतरफा हो जाती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे रिश्तों में शक्ति का असंतुलन पैदा होता है, जहां एक पार्टनर को फायदा और दूसरे को सिर्फ बोझ मिलता है.

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क्यों पनप रहा है यह ट्रेंड? (hobosexual meaning Hindi)

  • महंगे किराए और घर की कीमतें: महानगरों में आय का 40-50% हिस्सा आवास पर खर्च होता है.
  • सांस्कृतिक दबाव: शादी और साथ रहने का सामाजिक प्रेशर.
  • आर्थिक संघर्ष: Deloitte रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक आधे से ज्यादा मिलेनियल्स और जेन जेड कर्मचारी मुश्किल से खर्च चला पाएंगे.

समाज का आईना है होबोसेक्सुअलिटी (hobosexuality in India)

यह ट्रेंड केवल आर्थिक मजबूरी नहीं, बल्कि समाज का आईना है. यहां रिश्ते कभी प्यार पर नहीं, बल्कि सुविधा और जरूरत पर टिके रहते हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसे सिर्फ निंदा करने के बजाय समझना जरूरी है, ताकि रिश्ते समानता और जागरूकता पर आधारित हो सकें. होबोसेक्सुअलिटी भारत के मेट्रो सिटीज की नई हकीकत है. यह ट्रेंड प्यार से ज्यादा जरूरत और सुविधा पर टिके रिश्तों की ओर इशारा करता है. सवाल यह है कि क्या हम ऐसे रिश्तों को पहचानकर खुद को बचा पाएंगे, या फिर इन्हें शहरी रिश्तों का नया नॉर्मल मान लेंगे?

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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