दुनिया से 2050 तक खत्म हो सकती है चॉकलेट
पूरी दुनिया में चॉकलेट के दीवानों की कोई कमी नहीं है. खासतौर पर युवाओं में चॉकलेट का बड़ा क्रेज देखने को मिलता है. इसे हर स्पेशल इवेंट के लिए भी मंगवाया जाता है. लोग गिफ्ट के तौर पर भी चॉकलेट्स देना ही पसंद करते हैं. लेकिन कुछ ही सालों बाद दुनिया से चॉकलेट का नामोनिशां मिटने वाला है. जी हां हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2050 तक चॉकलेट का उत्पादन लगभग खत्म हो सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो चॉकलेट भी ग्लोबल वॉर्मिंग की मार झेल रही है.
क्या है कारण
जिस पौधे से चॉकलेट बनाई जाती है उसे ककाओ कहा जाता है. इसकी पैदावार एक सीमित क्षेत्र में ही होती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी खेती भूमध्य रेखा के 20 डिग्री उत्तर और 20 डिग्री दक्षिण तक के क्षेत्रों में ही होती है. जहां पर तापमान में कोई भी उतार-चढ़ाव नहीं देखने को मिलता है. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण अब तापमान में लगातार परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जहां इसकी खेती होती है वहां का तापमान भी बढ़ रहा है. इसीलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक लगातार बढ़ते हुए तापमान के कारण काकाओ की पैदावार काफी कम हो जाएगी.
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इंडस्ट्री पर पड़ेगा गहरा असर
फूड ऐंड कैन्डी कंपनी 'मार्स' को जलवायु में हो रहे इस परिवर्तन से चिंता सता रही है. बता दें कि सितंबर में कंपनी ने 1 बिलियन डॉलर 2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को 60% तक कम करने के प्रयास के लिए दिया है. इसके अलावा इस समस्या के निपटने के लिए 'मार्स', यूनिवरिसिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के साथ मिलकर रिसर्च भी कर रहा है. अगर वाकई में ऐसा होता है तो चॉकलेट इंडस्ट्री के लिए यह बुरी खबर होगी. इससे जहां दुनिया को चॉकलेट के लिए तरसना होगा, वहीं कई लोगों का रोजगार भी खतरे में पड़ेगा.
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क्या है कारण
जिस पौधे से चॉकलेट बनाई जाती है उसे ककाओ कहा जाता है. इसकी पैदावार एक सीमित क्षेत्र में ही होती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी खेती भूमध्य रेखा के 20 डिग्री उत्तर और 20 डिग्री दक्षिण तक के क्षेत्रों में ही होती है. जहां पर तापमान में कोई भी उतार-चढ़ाव नहीं देखने को मिलता है. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण अब तापमान में लगातार परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जहां इसकी खेती होती है वहां का तापमान भी बढ़ रहा है. इसीलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक लगातार बढ़ते हुए तापमान के कारण काकाओ की पैदावार काफी कम हो जाएगी.
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इंडस्ट्री पर पड़ेगा गहरा असर
फूड ऐंड कैन्डी कंपनी 'मार्स' को जलवायु में हो रहे इस परिवर्तन से चिंता सता रही है. बता दें कि सितंबर में कंपनी ने 1 बिलियन डॉलर 2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को 60% तक कम करने के प्रयास के लिए दिया है. इसके अलावा इस समस्या के निपटने के लिए 'मार्स', यूनिवरिसिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के साथ मिलकर रिसर्च भी कर रहा है. अगर वाकई में ऐसा होता है तो चॉकलेट इंडस्ट्री के लिए यह बुरी खबर होगी. इससे जहां दुनिया को चॉकलेट के लिए तरसना होगा, वहीं कई लोगों का रोजगार भी खतरे में पड़ेगा.
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