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Giloy ke Fayde : गिलोय में कैंसर और बैक्टीरिया से लड़ने का गुण पाया जाता है. इसके उपयोग से कैंसर में कुछ हद तक कमी देखने को मिलती है, अगर नियमित रूप से इसका सेवन किया जाए तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम में मदद मिलती है. यह मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पाया जाने वाला लतानुमा पौधा है, जिसका फूल, तना, पत्ता, जड़ सब फायदेमंद है. इसमें बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने का गुण पाया जाता है, ताकि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाए रखने में मदद करे. यह लतानुमा होने के कारण पेड़ों पर आसानी से चढ़ जाता है. इसको आयुर्वेद और फोक मेडिसिन में एक महत्वपूर्ण हर्बल पौधा माना गया है. इसमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के असर को कम करने की क्षमता पाई जाती है.
यह यूरिक एसिड को कम करने में कारगर साबित हुआ है. आयुर्वेद के विशेषज्ञ ने गिलोय को एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा बताया है और साथ ही कोरोना महामारी के दौरान काबिल-ए-तारीफ है. इसके नियमित सेवन करने से बुखार, पीलिया, अस्थमा, त्वचा संबंधी रोग, एनीमिया, डायबिटीज, बवासीर, प्रतिरक्षा तंत्र, खांसी और अपच जैसी बीमारियों का इलाज संभव है. इसके बहुत सारे उपयोग है, यह बिल्कुल भी कहना गलत नहीं है कि यह 12 से भी अधिक बीमारियों की दवा है.
सिंगल पैरेंट हैं तो बच्चे को जरूर सिखाएं ये 5 चीजें, जिंदगी के किसी मुकाम पर खुद को अकेला महसूस नहीं करेगा बच्चा
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गिलोय पौधे ऐसे करें पहचान
बहुत से लोग इसको पहचान नहीं पाते हैं, लेकिन इसे बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है. इसका आकार पान के पत्ते जैसा होता है और इसका रंग गहरा हरा होता है. इसको आप अपने घर पर सजावटी पौधे के तौर पर लगा सकते हैं. इसको गुडूची, अमृता वगैरह नामों से भी जाना जाता है. जो गिलोय की बेल नीम पर चढ़ी होती है वह ज्यादाफायदेमंद मानी गई है, इसलिए इसको नीम गिलोय के नाम से भी जाना जाता है.
गिलोय में मौजूद पोषक तत्त्व
इसमें गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन पाए जाते हैं. पामेरिन और टीनोस्पोरिक एसिड भी होते हैं. इसके अलावा गिलोय में कॉपर, आयरन, जिंक, फास्फोरस, कैल्शियम और मैगनीज के तत्व भी ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं.
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गिलोय के औषधीय गुण
आयुर्वेद के अनुसार इसका हर भाग फायदेमंद है. बहुत कम औषधी होती हैं, जो पित्त, वात और कफ को नियंत्रित करती हैं, जिनमें से यह एक है. यह मुख्य रूप से हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में कारगर है.
गिलोय के सेवन का तरीका
इसके सेवन करने के दो तरीके हैं, एक तरीका है इसको चूर्ण बनाकर खाया जाए और दूसरा तरीका है इसका जूस या काढ़ा बनाकर पिया जाए, क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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