Gandhi Jayanti 2020: दुनियाभर को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी की 151वीं जयंती (Mahatma Gandhi's 151th Birth Anniversary) मनाई जा रही है. हर साल बड़ी धूमधाम से गांधी जयंती(Gandhi Jayanti) मनाई जाती है. गांधी जयंती(Gandhi Jayanti) के दिन लोग नई दिल्ली के राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. स्कूलों में गांधी जी और देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि ऑफिसों और सरकारी दफ्तरों में भी कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. गांधी जयंती के इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनसे जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बातें जो आपको भी जरूर जाननी चाहिए.
जन्म
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. उनकी मां का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था. मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे, हालांकि उन्हें कई बार पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी मिली थीं. गांधी जी पढ़ाई और खेल दोनों में ही औसत थे. बीमार पिता की सेवा करना, घर के कामों में मां का हाथ बंटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकल जाना उन्हें बहुत पसंद था. गांधी जी जब 13 साल के थे और स्कूल में पढ़ते थे, तभी उनकी शादी कस्तूरबा से हुई थी.
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शिक्षा
वर्ष 1887 में मोहनदास ने 'बंबई यूनिवर्सिटी' में मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित 'सामलदास कॉलेज' में दाखिल लिया. गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनका जन्म वैष्णव परिवार में हुआ था, जहां उन्हें चीर फाड़ की इजाज़त नहीं थी. इस वजह से बिना मन के उन्हें दूसरा पेशा चुनना पड़ा. फिर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई करने का मन बनाया और इंग्लैंड चले गए. महात्मा गांधी का ये सफर इंग्लैंड तक नहीं थमा, यहां से उन्होंने कई देशों का भ्रमण किया.
आंदोलन
सन् 1914 में गांधी जी भारत लौट आए. देशवासियों ने उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया. गांधी जी अगले चार वर्षों तक भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में जुट रहे. देश को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलन चलाए. महात्मा गांधी ने अपना पहला आंदोलन 1906 में ट्रांसवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ शुरू किया था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। बता दें, कि महात्मा गांधी ने 26 जनवरी 1930 को अंग्रेजों से आजादी की घोषणा की थी.
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खानपान
महात्मा गांधी पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श हैं. उन्हें अपने सादा-जीवन और उच्च विचारों के चलते दुनियाभर में अहिंसा के पुजारी के रूप में पूजा जाता है. वे शाकाहारी थे और तामसी भोजन से दूरी बनाए रखते थे. उनके जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने चाय और कॉफी तक का त्याग कर दिया था. खानपान के साथ गांधी जी ने बहुत तरह के प्रयोग किए. इतने प्रयोग शायद ही दुनिया के किसी शख्स ने किए होंगे. उन्हें चीनी से परहेज था, लेकिन एक फल उन्हें खूब पसंद था. गांधीजी को फलों का राजा आम बहुत पसंद था. कई जगहों पर ऐसा जिक्र है कि गांधीजी आमों के प्रति अपनी तृष्णा पर संयम नहीं रख पाते थे.
भारत की आजादी के लिए योगदान
महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे. वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी, जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया. विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शान्ति, सत्य और अहिंसा का प्रतीक हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2007 से गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस' (International Day of Non‑Violence) के रूप में मनाए जाने की घोषणा की.
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