
अफगान लड़की दस साल से अधिक समय तक बेटे के वेश में रही
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सितारा वफादार नाम की एक अफगान लड़की की कहानी
परिवार ने एक दशक से अधिक समय तक लड़के के वेश में रखा
सितारा की पांच बहनें हैं और कोई भाई नहीं है
सितारा की पांच बहनें हैं और कोई भाई नहीं है. उसे अफगानिस्तान की ‘बाशा पोशी’ परंपरा का पालन कराया गया, जिसके तहत किसी लड़की को लड़के के वेश में रखा जाता है जो पितृ प्रधान समाज वाले देश में परिवार में बेटे की भूमिका निभाती है.
आंखें मटकाने के लिए ऐसे हुआ था Priya Prakash का मेकअप, सामने आया Video
अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार स्थित एक गांव में फूंस के एक घर में रहने वाली 18 वर्षीय सितारा ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं एक लड़की हूं.’’ वह और उसके पिता एक ईंट भट्ठे पर सप्ताह में छह दिन बंधुआ मजदूर के रूप में काम करते हैं ताकि परिवार का गुजारा हो सके.’’
उसने कहा, ‘‘मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि सितारा मेरे बड़े बेटे की तरह है. कभी - कभी मैं उनके बड़े बेटे का फर्ज निभाते हुए अंत्येष्टि कार्यक्रमों में भी जाती हूं.’’
UPSC Result 2017: 4 साल के बच्चे की मां ने किया कमाल, हरियाणा में बनीं मिसाल
हालांकि, ज्यादातर लड़कियां तरुणायी शुरू होने पर लड़के की वेश-भूषा रखना बंद कर देती हैं. जबकि कुछ लड़कियां लड़कों की तरह ही आजाद रहने के लिए ऐसा करना जारी रखती हैं.
सितारा ने कहा कि उसने तरुणायी में पहुंचने के बाद भी पुरुषों जैसे वस्त्र पहनने जारी रखे, ताकि ईंट भट्ठे पर खुद की हिफाजत कर सके. वह एक दिन में करीब 500 ईंट बनाती है जिसके बदले उसे करीब दो डॉलर मिलते हैं.
काबुल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्राध्यापक बरयालई फितरत ने बताया कि बाशा पोशी परंपरा का पालन मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पुरातनपंथी क्षेत्रों में किया जाता है.
देखें वीडियो - हिंदुस्तान-अफगानिस्तान को जोड़ते क्रिकेट-बॉलीवुड
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं