छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले में नौ महीने की गर्भवती स्वास्थ्य कर्मचारी (Health Worker) कोरोनावायरस से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रही है. कोंडागांव जिले के केरावाही गांव की एएनएम संतोषी मानिकपुरी क्षेत्र में चैंपियन आफ चेंज (Champion of Change) के नाम से मशहूर हैं. संतोषी महामारी के दिनों में घर में आराम करने के बजाय अपने साथियों के साथ मिलकर लोगों को कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण से बचाव के तरीके बता रही है.
संतोषी पिछले पांच वर्ष से बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के केरावाही गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तैनात है. गर्भवती होने के बावजूद अपने कार्य में भाग लेने को लेकर संतोषी ने कहा कि जीवन में बहुत कम उदाहरण हैं जहां आपको ऐसे विपरीत समय में लोगों की सेवा करने का अवसर मिलता है. मैं छुट्टी ले सकती थी लेकिन मैंने अपनी आत्मा की पुकार सुनी कि मुझे एक चिकित्साकर्मी के रूप में अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए.
संतोषी अपने स्वास्थ्य केंद्र के दो अन्य कर्मचारियों के साथ न केवल ओपीडी में मरीजों को संभालती है, बल्कि अपना काम खत्म करने के बाद वह गांवों में सामाजिक दूरी और स्वच्छता के बारे में लोगों को जागरूक करती हैं. जिससे कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके.
उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ एएनएम होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं ड्यूटी पर रहूं. हालांकि, अधिकारियों ने मुझे जरूरत पड़ने पर छुट्टी लेने के लिए कहा है लेकिन मैं तब तक काम करना चाहती हूं जब तक मैं कर सकती हूं. संतोषी की डिलीवरी अगले महीने होनी है. संतोषी ने बताया कि हम लगातार अपने क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं और लोगों से कहा गया है कि कोई भी अन्य राज्य या विदेश से आता है तब इसकी सूचना दें.
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अब तक प्रवासी श्रमिकों के 50 परिवारों के ऐसे सदस्य हैं जो कोरोना प्रभावित राज्यों से वापस आए हैं. उन्हें उनके घरों में पृथक किया गया था और उन्होंने अब निगरानी की अवधि पूरी कर ली है. एएनएम ने बताया कि हम मितानिनों की बैठक लेते हैं, जो जागरूकता अभियान चलाने में मदद कर रहे हैं और बीमार लोगों के बारे में हमें रिपोर्ट दे रहे हैं. वहीं इस संबंध में सरकार के दिशा-निर्देशों के बारे में भी बताते हैं.
संतोषी ने बताया कि उसकी चार वर्ष की एक बेटी भी है जो अपने पिता के साथ घर पर रहती है. उन्होंने बताया कि संतोषी के पति ने भी उसके फैसले का समर्थन किया है और उसे यह कहते हुए काम करने की अनुमति दी है कि वह घर पर बेटी की देखभाल करेंगे.
जब संतोषी से पूछा गया कि वह अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ होने वाले बच्चे के लिए भी जोखिम उठा रही हैं तो उसने कहा कि वह सभी एहतियाती उपायों को अपना रही हैं जिससे वह स्वयं संक्रमित न हो. संतोषी के उत्साह की तारीफ करते हुए कोंडागांव जिले के कलेक्टर नीलकंठ टीकम ने कहा कि यह संतोषी का जुनून है जो लोगों की भलाई के लिए काम करने के लिए उसे अतिरिक्त ऊर्जा देता है.
टीकम कहते है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. संतोषी को संस्थागत प्रसव, टीकाकरण अभियान और अन्य स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों के निष्पादन में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए कोंडागांव कलेक्टर ने पिछले महीने चैंपियन ऑफ चेंज के सम्मान के साथ सम्मानित किया था. कलेक्टर ने कहा कि अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता संतोषी के उत्साह से प्रेरणा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह जब चाहे छुट्टी लेने के लिए स्वतंत्र है.
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