UP Assistant Teacher Recruitment: यूपी में 69000 शिक्षकों की भर्ती का मामला लगातार कोर्ट में उठाया जा रहा है. इस मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. ये याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी. दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भर्ती से जुड़े प्रश्न पत्र और आंसर शीट को चेक करने के लिए यूजीसी को भेजने का आदेश दिया था. इसके बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के इसी फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. बता दें कि यूपी सरकार ने बीते 8 मई को शिक्षक भर्ती का रिजल्ट घोषित किया था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बीते 12 जून को सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चालू करने का रास्ता साफ हो गया था. जस्टिस पीके जायसवाल और डीके सिंह की डिवीजन बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत भर्ती प्रक्रिया चालू करने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 37,000 पोस्ट शिक्षा मित्रों के लिए रिजर्व रखी थीं, और बाकी पदों पर भर्ती करने को मंजूरी दे दी थी.
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया में भारी कंफ्यूजन होने की बात कहते हुए 3 जून को काउंसलिंग पर रोक लगा दी थी. साथ ही प्रश्न पत्र और आंसर शीट चेक करने के लिये यूजीसी को भेजने का भी आदेश दिया था. लेकिन डिवीजन बेंच के आदेश के बाद इस पर भी रोक लग गई थी. प्रश्न पत्र और आंसर शीट से जुड़े डिवीजन बेंच के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.
क्या है पूरा विवाद?
ये पूरा विवाद भर्ती एग्जाम के नंबर को लेकर शुरू हुआ था. यूपी सरकार ने एग्जाम पास करने के लिए न्यूनतम अंक निर्धारित किए थे. यूपी सरकार ने रिजर्व कैटेगरी के सदस्यों के लिए कम से कम 60 फीसदी और अन्य श्रेणी के कैंडिडेट्स के लिए 65 फीसदी नंबर लाना अनिवार्य किया था.
इसी बात को लेकर पूरा विवाद शुरू हुआ और मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. फिलहाल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच का आदेश ही अंतिम आदेश है जिसके हिसाब से 69000 में 37000 शिक्षा मित्रों के जगह छोड़कर बाकी पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए यूपी सरकार स्वतंत्र है.
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