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सोशल मीडिया सेंसेशन से सरकारी अफसर तक, हर्षिता दवे ने रचा इतिहास,रील्स वाली लड़की बनी MPPSC टॉपर

इंदौर की हर्षिता दवे ने 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने जा रही हैं. वह MPPSC टॉपर हैं. इंस्टाग्राम पर एक्टिव रहने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई पर फोकस रखा और 12 घंटे की मेहनत से सफलता पाई.

सोशल मीडिया सेंसेशन से सरकारी अफसर तक, हर्षिता दवे ने रचा इतिहास,रील्स वाली लड़की बनी MPPSC टॉपर
नई दिल्ली:

Harshita Dave Success Story: आज हर दूसरा युवा सोशल मीडिया पर रील्स बनाते हुए नजर आता है. हर कोई चाहता है कि उसकी वीडियो वायरल हो जाए, उसे फॉलोअर्स मिलें और वो एक इंफ्लुएंसर बन जाए. लेकिन क्या रील्स बनाना सिर्फ टाइमपास है. क्या इससे करियर खराब होता है. ऐसे कई सवाल भी सामने आते हैं. इंदौर की 22 साल की हर्षिता दवे ने इस सोच को गलत साबित कर दिखाया है. उन्होंने बताया कि रील्स बनाना और पढ़ाई दोनों ही साथ-साथ हो सकता है, अगर डिसिप्लिन में रहकर किया जाए. हर्षिता MPPSC टॉपर हैं और अब इतनी छोटी सी उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने जा रही हैं. आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी

रील्स वाली लड़की बनी अफसर

हर्षिता दवे ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा पास कर सबको चौंका दिया. उन्होंने महिला कैटेगरी में टॉप किया और ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल की. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली हर्षिता के इंस्टाग्राम पर 19,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. वे फिल्मी डायलॉग्स पर रील्स बनाती हैं, लेकिन साथ ही दिन में 12 से 14 घंटे पढ़ाई भी की.

स्कूल से ही थी टॉपर

हर्षिता पढ़ाई में शुरू से ही होनहार थीं. उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर और माधव विद्यापीठ से स्कूलिंग की. 11वीं और 12वीं में उन्होंने आर्ट्स स्ट्रीम ली और फिर इतिहास, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरा किया. 2023 में उन्होंने एमए (Political Science) किया. र्षिता को सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा अपनी दादी सुशीला दवे से मिली. उनकी दादी 1966 में शादी के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं, लेकिन उनका सपना था कि परिवार से कोई प्रशासनिक अधिकारी बने. हर्षिता ने उसी सपने को पूरा करने के लिए खूब मेहनत की और सफलता हासिल की.

12 घंटे की पढ़ाई, दूसरे अटेम्प्ट में बनी टॉपर

यह हर्षिता का दूसरा अटेम्प्ट था. पहली बार 2023 में उन्होंने परीक्षा दी थी, प्रीलिम्स क्लियर हुआ लेकिन मेन्स में रह गईं. उन्होंने हार नहीं मानी, दोबारा तैयारी की, कोचिंग ली, हर दिन के लिए टारगेट सेट किया और आखिरकार MPPSC 2024 में टॉप रैंक हासिल कर ली. अब वे सिर्फ 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने जा रही हैं.

परिवार में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल

हर्षिता के पिता डॉ. विकास दवे, साहित्य अकादमी के निदेशक हैं और उनकी मां सुनीता दवे हिंदी टीचर हैं. उनके बड़े भाई हार्दिक दवे एक न्यूज एंकर हैं. घर का माहौल हमेशा से पढ़ाई और संस्कार से जुड़ा रहा और वही उनकी सबसे बड़ी ताकत बना. उन्होंने साबित किया कि अगर आपका फोकस क्लियर है, तो कोई भी सफलता पाई जा सकती है.

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