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This Article is From Oct 12, 2022

IAS Success Story: परिवार वाले हो गए थे खिलाफ, फिर IAS Vandana Singh ने ऐसे की UPSC की तैयारी

IAS Success Story: वंदना के रिश्तेदार नहीं चाहते थे कि वंदना आगे की पढाई करे, फिर वंदना ने अपने पिता को मनाया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. आईएएस वंदना ने 2012 में 8वीं रैंक हासिल करके यूपीएससी क्वालीफाई कर लिया.

IAS Success Story: परिवार वाले हो गए थे खिलाफ, फिर IAS Vandana Singh ने ऐसे की UPSC की तैयारी
IAS Success Story: वंदना का जन्म 4 अप्रैल 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में हुआ था और उस जगह लड़कियों को अधिक पढ़ाने का चलन नहीं था.

Success Story of IAS Vandana Singh Chauhan: वर्षों मेहनत के बाद भी कई उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा क्वालीफाई नहीं कर पाते जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा में सफल हो जाते हैं. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा को देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा के नसरुल्लागढ़ की रहने वाली ऐसी ही एक आईएएस ऑफिसर वंदना सिंह चौहान कि जिन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़कर सीएसई 2012 परीक्षा में 8 वीं रैंक लाकर कीर्तिमान स्थापित कर दिया. वो भी ऐसी परिस्थिति में जब वंदना के परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वंदना और अधिक पढ़ाई-लिखाई करे.

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ये कहना गलत नहीं होगा कि वंदना ने अपने सपने को पूरा करने के लिए जीवन में बहुत संघर्ष किए हैं. वंदना का जन्म 4 अप्रैल 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में हुआ था और वहां लड़कियों को अधिक पढ़ाने का चलन नहीं था. लेकिन, बचपन से ही वंदना का मन आईएएस ऑफिसर बनने का था. एक साक्षात्कार के दौरान वंदना के पिता महिपाल सिंह कहते हैं कि गांव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था जिसके कारण बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए दूसरे श्शर भेजना पड़ा. वंदना की और अधिक पढ़ने की चाह और उनके सपने ने किसी को भी बीच में नहीं आने दिया. 

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उनके पिता कहते हैं कि बेटे के बाहर जाने के बाद से ही वंदना ने भी रट लगा ली थी कि मुझे पढ़ने कब भेजेंगे. शुरुआत के दिनों में महिपाल सिंह ने अपनी बेटी के बातों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन, एक दिन जब वंदना ने अपने पिता से गुस्से में यह कह दिया कि “मेरे लड़की होने के कारण आप मुझे बाहर पढ़ने नहीं भेज रहे है” तब यह बात उन्हें बहुत बुरी लगी और उन्होंने मुरादाबाद के एक गुरुकुल में वंदना का एडमिशन करवा दिया. 

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वंदना को बाहर पढ़ने भेजने के बात से उनके रिश्तेदार (दादा, ताऊ और चाचा समेत परिवार के सदस्य) खिलाफ हो गए थे. 12 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वंदना ने घर से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. शुरुतात में वंदना 12-14 घंटे पढाई किया करती थी. पढ़ाई के दौरान नींद अधिक न आए इसलिए वंदना ने अपने कमरे में कूलर लगाने से भी मना कर दिया था. इस तरह कठिन परिक्षम करने के बाद आखिरकार वंदना ने अपने सपने को पूरा कर लिया.  

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