केंद्र सरकार अलगावाद की कमर तोड़ने के लिए लगातार एक्शन मोड में है. बुधवार को घाटी के कई इलाकों में हुर्रियत से जुड़े नेताओं के ठिकानों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने छापेमारी की. इनमें पूर्व हुर्रियत प्रमुख अब्दुल गनी भट का घर भी शामिल है. पुलिस ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं. यह कार्रवाई अलगावादी गतिविधियों को रोकने और कश्मीर घाटी में शांति बहाल करने के लिए की गई है.
जानकारी के मुताबिक श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग समेत कश्मीर घाटी में कई स्थानों पर पिछले दो दिन से छापे मारे गए. ये छापे गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज मामले बैन संगठनों से संबंधित हैं. इनमें जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस (भट ग्रुप), जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग (मसरत आलम ग्रुप) और जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (शब्बीर शाह ग्रुप) भी शामिल हैं.
वैसे जहां ये घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक परिवर्तन का संकेत दे रहा है. वहीं कई ऐसे भी धड़े है जो अलगाववाद छोड़ मुख्य धारा से जुड़ रहे है. इनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व नेता और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाहिद सलीम और जेकेडीपीएम के शफी रेशी शामिल है.
गृह मंत्रालय का कहना है कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में 70% की कमी आई है.
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं, जिनमें आतंकवाद विरोधी कानूनों का सख्त पालन और सामाजिक-आर्थिक सुधार शामिल हैं. अधिकारियों का मानना है कि इन दोनों कदमों के जरिए जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव देखे जा रहे है.