NGO के फंड के दुरुपयोग के मामले में तीस्ता शीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद को मिली अग्रिम जमानत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की है. शीर्ष अदालतने सीबीआई और गुजरात सरकार से कहा, " क्या तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं? वे दोनों सात साल से अधिक समय से जमानत पर बाहर हैं. आखिर सात साल से अग्रिम जमानत का मामला लंबित क्यों हैं ? सवाल यह है कि आप किसी को कब तक हिरासत में रख सकते हैं." सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल चार हफ्ते के लिए मामले को टाल दिया है.
तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने लंबित सभी मामलों की एक सूची बनाई है और स्थिति क्या है ताकि यह स्पष्ट हो सके.ये ऐसे मामले हैं जो आठ-आठ साल से लंबित हैं. अग्रिम जमानत के मामले आठ साल से लंबित हैं. हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है. कई मामलों में नियमित जमानत भी मिल चुकी है. वहीं सरकार की ओर अतिरिक्त सामग्री के लिए वक्त मांगा गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो चार हफ्ते बाद सुनवाई करेंगे.
दरअसल, NGO के फंड के दुरुपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट तीस्ता शीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद को मिली अग्रिम जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. 11 मई 2019 को उनको बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली राहत को बरकरार रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दोनों को अग्रिम जमानत देने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और दपंति की याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. गौरतलब है कि फरवरी 2019 में ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों को 1.4 करोड के फंड के गबन के मामले में सशर्त अग्रिम जमानत दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि दोनों इस मामले में जांच में सहयोग करेंगे. इसे लेकर गुजरात सरकार के अलावा तीस्ता ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सीबीआई के पुराने केस के साथ टैग कर दिया था.
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