क्यों राष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम की बदले बैलेट बॉक्स के जरिए होती है वोटिंग? यहां समझें

मशीनों का पहली बार मई, 1982 में केरल में विधानसभा चुनाव में उपयोग किया गया था. हालांकि, इसके उपयोग को निर्धारित करने वाले एक विशिष्ट कानून की अनुपस्थिति के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने उस चुनाव को रद्द कर दिया.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
ईवीएम को मतदान की इस प्रणाली को दर्ज करने के लिए नहीं बनाया गया है.
नई दिल्ली:

कभी आपने सोचा है कि 2004 के बाद से चार लोकसभा चुनावों और 127 विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सदस्यों और राज्य विधान परिषदों के सदस्यों के चुनाव में इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता? ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित है जहां वह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में वोट के समूहक (एग्रेगेटर) के रूप में काम करती है.

मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है. लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से, प्रत्येक निर्वाचक उतनी ही वरीयताओं पर निशान लगा सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.

सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष समर्थित यशवंत सिन्हा दो उम्मीदवार हैं. अधिकारियों ने बताया कि ईवीएम को मतदान की इस प्रणाली को दर्ज करने के लिए नहीं बनाया गया है. ईवीएम वोट का समूहक है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मशीन को वरीयता के आधार पर वोटों की गणना करनी होगी और इसके लिए पूरी तरह से अलग तकनीक की आवश्यकता होगी. 

Advertisement

दूसरे शब्दों में, एक अलग प्रकार की ईवीएम की आवश्यकता होगी. निर्वाचन आयोग की त्रैमासिक पत्रिका ‘माई वोट मैटर्स' के अगस्त, 2021 के अंक के अनुसार 2004 से अब तक चार लोकसभा और 127 विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा चुका है. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, पहली बार 1977 में निर्वाचन आयोग में इसकी परिकल्पना की गई थी और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद को ईवीएम को डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया था.

Advertisement

मशीनों का पहली बार मई, 1982 में केरल में विधानसभा चुनाव में उपयोग किया गया था. हालांकि, इसके उपयोग को निर्धारित करने वाले एक विशिष्ट कानून की अनुपस्थिति के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने उस चुनाव को रद्द कर दिया. इसके बाद, 1989 में, संसद ने चुनावों में ईवीएम के उपयोग के लिए एक प्रावधान बनाने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया. इसकी शुरूआत पर आम सहमति केवल 1998 में ही बनी थी और इनका उपयोग मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में फैले 25 विधान सभा क्षेत्रों में किया गया था. 

Advertisement

मई 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में, सभी विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. तब से, प्रत्येक राज्य विधानसभा चुनाव के लिए, आयोग ने ईवीएम का उपयोग किया है. 2004 के लोकसभा चुनावों में देश के सभी 543 संसदीय क्षेत्रों में 10 लाख से अधिक ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था.

Advertisement

यह भी पढ़ें - 
-- मध्य प्रदेश : झाबुआ में मालगाड़ी के 16 डिब्बे पटरी से उतरे, दूर-दूर तक पड़े दिखे पुर्जे

-- राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग जारी, पीएम मोदी ने भी संसद परिसर में डाला वोट

Featured Video Of The Day
Gold Reserves: स्वर्ण भंडार के मामले में दुनिया के देशों में India कहां है? | NDTV Explainer
Topics mentioned in this article