दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले की सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि एक बार जब एक कैडर आवंटित किया जाता है, तो राज्य सरकार ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि का फैसला करती है. लेकिन क्या यही सिद्धांत केंद्र शासित राज्यों पर लागू होता है? 239AA कानून सामूहिक जिम्मेदारी, सहायता और सलाह की बात करता है. ये लोकतंत्र की आधारशिला हैं और राष्ट्रहित में तीन विषयों को बाहर किया गया है. इसलिए आपको दोनों में संतुलन बनाने की जरूरत है. हमें जिस प्रश्न का उत्तर देना है वह सार्वजनिक सेवाओं पर नियंत्रण है. क्या सार्वजनिक सेवाओं पर नियंत्रण विशेष रूप से एक या दूसरे के पास होना चाहिए या बीच का माध्यम होना चाहिए?
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ओमनियुक्ति, स्थानांतरण आदि की शक्ति उस यूटी के पास होनी चाहिए.
प्राथमिकताएं अलग होना तय है. यही संघवाद है. केंद्र सरकार की अलग प्राथमिकताएं होंगी. आप प्राथमिकताओं के इन अंतरों को प्रबंधित करें. क्योंकि आप कहते हैं कि संघवाद बहुसंप्रभुताओं की अवधारणा से निपटेगा. संघवाद बहुत वास्तविक अर्थों में जियो और जीने दो के बारे में है. संघवाद एकमात्र ऐसी अवधारणा है, जिसमें प्रस्तावना का उल्लेख नहीं है. लेकिन फिर भी यह बुनियादी संरचना का एक हिस्सा है. राष्ट्र पहले है, लेकिन क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है. एक बार व्यक्ति दिल्ली आता है. उसका स्थानांतरण इत्यादि दिल्ली के अंतर्गत आएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बालाकृष्णन रिपोर्ट संवैधानिक संशोधन से पहले की है, यह संशोधन की वैधता निर्धारित करने का आधार नहीं हो सकती है. यह एक क़ानून या ऐसा कुछ नहीं है सिर्फ इसलिए कि बालाकृष्णन अगर गलत है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह अधिसूचना गलत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था राष्ट्रीय परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करती है और इसलिए इसे बाहर रखा गया है, अब सेवाओं के नियंत्रण पर क्या हो ?
दिल्ली सरकार ने कहा कि देश की विविधता के साथ संघवाद इसे संरक्षित करने का मार्ग है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने पास रखा है. दिल्ली सरकार ने कहा कि बहुलवाद और लोकतंत्र एक प्रतिनिधि सरकार की पहचान है. क्या राज्य सरकार की संपत्तियों पर एनडीएमसी द्वारा लगाया गया नगरपालिका कर केंद्रीय कर है? फैसले में कहा है कि यदि राज्य की संपत्ति गैर वाणिज्यिक है तो छूट दी गई है.