क्या है नरोदा नरसंहार केस? कैसे गोधरा कांड के एक दिन बाद भीड़ ने ले ली 11 लोगों की जान

अहमदाबाद की विशेष अदालत ने गुरुवार को सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी सहित 86 आरोपी थे

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अहमदाबाद का नरोदा इलाका, जहां सन 2002 में हुए दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी.
नई दिल्ली:

गुजरात में सन 2002 में हुए दंगों के दौरान नरोदा गांव में हुए नरसंहार के मामले में अहमदाबाद की विशेष अदालत ने गुरुवार को सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी सहित 86 आरोपी थे. इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सितंबर 2017 में माया कोडनानी के बचाव में गवाह के रूप में कोर्ट में पेश हुए थे. अहमदाबाद के नरोदा गांव में हुए हत्याकांड के 21 साल बाद अदालत का फैसला आया.

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को ट्रेन में आगजनी की घटना हुई थी जिसमें अयोध्या से लौट रहे 58 लोगों की मौत हो गई थी. इस ट्रेन में कारसेवक भी सवार थे. इसके एक दिन बाद 28 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद द्वारा गुजरात में बंद का ऐलान दिया गया था. इसी दिन अहमदाबाद शहर के नरोदा गांव इलाके में हुए दंगों के दौरान 11 लोग मारे गए थे. उनको जिंदा जला दिया गया था.

अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को सुबह 9:00 बजे शांति का माहौल था. लेकिन अचानक भीड़ बेकाबू होने लगी. इसी दौरान पथराव व आगजनी हुई और दंगे भड़क गए. नरोदा गांव में हुए दंगे के बाद पूरे राज्य में दंगे हुए थे जिसके बाद 27 शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया था.

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नरोदा ग्राम केस में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया था.

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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2008 में इसकी जांच SIT को सौंपी गई थी. मामले की सुनवाई साल 2009 में शुरू हुई थी. नरसंहार केस में 187 लोगों से पूछताछ की गई थी. इसके अलावा 57 चश्मदीदों के बयान भी दर्ज किए गए थे. नरोदा नरसंहार मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इन आरोपियों में से 18 लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है.  

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मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की और लगभग 13 साल तक चले इस केस में 6 जजों ने लगातार सुनवाई की.

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माया कोडनानी का पूरा नाम माया सुरेंद्रकुमार कोडनानी है. वे पेशे से गाइनोकोलोजिस्ट हैं. उन्होंने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज में लंबे समय तक सेवाएं भी दीं. सन 1995 में राजनीति में प्रवेश के साथ उन्होंने पहली बार निकाय चुनाव में लड़ा था. बाद में वे गुजरात के 12वें विधानसभा चुनाव में नरोदा सीट से विधायक चुनी गई थीं. बाद में गुजरात सरकार में उन्हें वुमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मंत्री बनाया गया था. 

माया कोडनानी ने अपने बचाव में कहा था कि घटना के दिन सुबह के वक्त वे गुजरात विधानसभा में थीं. वहीं, दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं. जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी थी कि माया कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था.

माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने एक दिन पहले हुए गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या के लिए भड़काया. 

अहमदाबाद में एसआईटी मामलों के विशेष न्यायाधीश एसके बक्सी की अदालत ने गुरुवार को दंगों के इस बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने की थी. जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें माया कोडनानी, विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं.

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