सिक्किम में हिमनद झील में बाढ़ आने की दी गई चेतावनियां

सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसएसडीएमए) के अनुसार, जीएलओएफ की घटना के बाद 14 लोगों की जान चली गई है और 22 सैन्यकर्मियों सहित 102 अन्य लापता हैं.

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नई दिल्ली:

 पिछले दो दशकों में कई मौकों पर सरकारी एजेंसियों और शोध अध्ययनों ने सिक्किम में हिमनद झील के फटने से बाढ़ (जीएलओएफ) आने एवं जान और माल को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की चेतावनी दी थी. ल्होनक झील के कुछ हिस्सों में चार अक्टूबर को बादल फटने की घटना हुई है, जिससे तीस्ता नदी से सटे झील के निचले हिस्से में पानी का स्तर तेज़ी से बढ़ गया. इससे मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में काफी नुकसान हुआ.

सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसएसडीएमए) के अनुसार, जीएलओएफ की घटना के बाद 14 लोगों की जान चली गई है और 22 सैन्यकर्मियों सहित 102 अन्य लापता हैं. इस घटना से चुंगथंग बांध भी टूट गया, जो सिक्किम में सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना है. जीएलओएफ की घटना तब होती है जब हिमनद के पिघलने से बनी झील में अचानक से बाढ़ आ जाए. यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे झील में बहुत सारा पानी जमा हो जाए या भूकंप आ जाए.

जब झील फटती है तो यह अचानक से बहुत सारा पानी छोड़ती है, जिससे झील के निचले प्रवाह क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है. यह बाढ़ बेहद विनाशकारी होती है और प्रभावित क्षेत्र के लोगों और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक होती है. ‘दक्षिण एशिया नेटवर्क ऑफ डैम्स, रीवर एंड पीपुल' के मुताबिक, दक्षिण ल्होनक झील हिमनद से निकली है और यह सिक्किम के सुदूर क्षेत्र में स्थित है. यह सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती झीलों में से एक है और जीएलओएफ के प्रति संवेदनशील 14 संभावित खतरनाक झीलों में से एक है.

दक्षिण ल्होनक झील समुद्र तल से 5200 मीटर (17,100 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है. यह झील ल्होनक हिमनद के पिघलने से बनी है. झील से जुड़े दक्षिण ल्होनक हिमनद के पिघलने और निकटवर्ती उत्तरी ल्होनक और मुख्य ल्होनक हिमनदों के पिघलने से निकलने वाले पानी के कारण इस झील का आकार तेजी से बढ़ रहा है. हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) की उपग्रह तस्वीरों से पता चला है कि दक्षिण ल्होनक झील का क्षेत्रफल 28 सितंबर को 167.4 हेक्टेयर से घटकर चार अक्टूबर को 60.3 हेक्टेयर हो गया है. इससे जीएलओएफ की पुष्टि होती है, जिससे तीस्ता नदी बेसिन में काफी क्षति हुई है.

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एनआरएससी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 2012-2013 में किए गए एक अध्ययन में दक्षिण ल्होनक हिमनद झील के निर्माण और संबंधित जोखिमों पर चर्चा की गई. अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिणी ल्होनक झील में विस्फोट की संभावना 42 प्रतिशत थी, जो काफी ज्यादा है. सिक्किम सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने झील के आकार का अनुमान लगाने के लिए 2016 में अभियान शुरू किया था जिसका नेतृत्व लद्दाख स्थित एनजीओ ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख' के सोनम वांगचुक ने किया. अभियान ने जीएलओएफ की आशंका को लेकर आगाह किया था.

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सिक्किम में नामची सरकारी कॉलेज के सहायक प्रोफेसर दिलीराम दहल ने बताया कि अभियान के बाद जीएलओएफ घटना को रोकने के लिए हिमनद झील से पानी निकालने के वास्ते पाइप लगाए गए थे. इस साल सितंबर में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), एसएसडीएमए और भूमि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों ने प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करने के लिए झील का एक और निरीक्षण किया.

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साल 2021 में ‘एल्सेवियर' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दक्षिण ल्होनक झील के फटने की आशंका व्यक्त की गई थी. साल 2021 में जर्नल ‘ज्योमोर्फोलॉजी' में छपे एक अन्य अध्ययन में कहा गया था कि 1962 से 2008 के बीच 46 साल में हिमनद करीब दो किलोमीटर पीछे हट गए हैं और यह 2008 से 2019 के बीच तकरीबन 400 मीटर और पीछे चले गए हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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