बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन: नहीं मिला 35 लाख वोटरों का आंकड़ा, राजनीतिक दलों से डेटा साझा करेगा EC

चुनाव आयोग के मुताबिक करीब 35.69 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पतों पर नहीं पाए गए. इनमें से 12.5 लाख मृत पाए गए, 17.5 लाख स्थायी रूप से पलायन कर गए और 5.5 लाख मतदाता कई जगहों पर पंजीकृत हैं, जिससे दोहराव और अयोग्यता की चिंताएं बढ़ गई हैं.

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  • बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में लगभग पैंतीस लाख छः हजार मतदाताओं को अंतिम सूची से बाहर करने की संभावना है।
  • तीन दौर के सत्यापन के बाद चार दशमलव पांच प्रतिशत मतदाता अपने पंजीकृत पतों पर नहीं पाए गए हैं।
  • चुनाव आयोग को अब तक कुल मतदाताओं में से लगभग पचपन लाख मतदाताओं ने अपने गणना प्रपत्र जमा नहीं किए हैं।
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत गणना प्रपत्र जमा करने की 25 जुलाई की अंतिम तिथि नजदीक आने के बीच भारत निर्वाचन आयोग (EC) ने खुलासा किया है कि लगभग 35.6 लाख मतदाताओं को अंतिम सूची से बाहर रखा जा सकता है. तीन दौर के क्षेत्रीय सत्यापन के बावजूद, चुनाव आयोग ने बताया कि 4.5% मतदाता यानी 35.69 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पतों पर नहीं पाए गए. इनमें से 12.5 लाख मृत पाए गए, 17.5 लाख स्थायी रूप से पलायन कर गए और 5.5 लाख मतदाता कई जगहों पर पंजीकृत हैं, जिससे दोहराव और अयोग्यता की चिंताएं बढ़ गई हैं.

54 लाख मतदाताओं ने अभी तक अपने फॉर्म जमा नहीं किए
चुनाव आयोग को अब तक 88.6% गणना फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन बिहार के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 54 लाख मतदाताओं ने अभी तक अपने फॉर्म जमा नहीं किए हैं. वर्तमान में, केवल 6.85% मतदाता ही प्रक्रिया पूरी करने के लिए शेष हैं, और आयोग ने उनसे अनुरोध किया है कि वे समय सीमा तक ऐसा कर लें ताकि वे इस प्रक्रिया से वंचित न रह जाएं.

कल से राजनीतिक दलों को मिलना शुरू होगा डाटा

चुनाव आयोग ने बताया कि वह 17 जुलाई यानी कि गुरुवार से 35.6 लाख मतदाताओं के नाम और विवरण मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा करना शुरू करेगा. ताकि राजनीतिक दल इन चिह्नित मतदाताओं की सूची की जांच कर सके. इससे किसी भी वोटर के नाम को आधिकारिक रूप से मतदाता सूची से हटाए जाने से पहले उनकी स्थिति सत्यापित करने में मदद मिलेगी.

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मालूम हो कि SIR प्रक्रिया के दौरान, बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLO) ने नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश के उन विदेशी नागरिकों की भी पहचान की, जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज था. चुनाव आयोग ने कहा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) द्वारा दस्तावेज सत्यापन के बाद इन नामों को हटा दिया जाएगा.

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हालांकि, प्रभावित लोगों को नागरिकता और पात्रता का वैध प्रमाण प्रस्तुत करके पहले जिला कलेक्टर (DC) और फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के समक्ष अपील करने का अधिकार है. अभी तक चुनाव आयोग ने बिहार में पाए गए विदेशी नागरिकों की सही संख्या साझा नहीं की है.

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