उत्तर प्रदेश बिकरू कांड: सुप्रीम कोर्ट ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अमर दुबे की पत्नी की ओर से याचिका दाखिल की और सुनवाई को लेकर बहस की. उन्होंने कहा कि कभी भी डकैतों के परिवारों व बच्चों पर कार्रवाई नहीं होती.

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सुप्रीम कोर्ट ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जमानत दे दी है.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बिकरू कांड में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जमानत दे दी है. हालांकि कहा कि जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल के दौरान खुशी दुबे को कानपुर नहीं जाने देने की मांग भी ठुकरा दी और कहा कि वो एक महिला है, कहां जाएगी. वो सड़क पर तो नहीं रह सकती है. 

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने जमानत देते हुए कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि घटना के समय आरोपी खुशी दुबे 17 साल की थी. केस की चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और ट्रायल शुरू हो चुका है. न्याय के हित में आरोपी को जमानत दी जानी चाहिए.

इस दौरान यूपी सरकार और पीड़ित पुलिसवालों के परिवारों ने जमानत का विरोध किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. यूपी सरकार ने कहा कि इन पर पुलिस पर फायरिंग के लिए उकसाने का गंभीर आरोप है. जेल रिपोर्ट के मुताबिक इसका व्यवहार ठीक नहीं था, दूसरे कैदियों के साथ झगड़े किए थे. खुशी दुबे उसी गैंग का हिस्सा है, अगर जमानत दी गई तो गैंग फिर से एक्टिव हो सकता है.

इस मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अमर दुबे की पत्नी की ओर से याचिका दाखिल की और सुनवाई को लेकर बहस की. उन्होंने कहा कि कभी भी डकैतों के परिवारों व बच्चों पर कार्रवाई नहीं होती. घटना के समय इसकी शादी को सिर्फ चार दिन हुए थे.

दरअसल कानपुर में चौबेपुर थाने के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 को कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे की गैंग ने दबिश देने आई पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. इस मुठभेड़ में बिल्हौर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. बाद में पुलिस टीम ने विकास दुबे समेत गिरोह के सात बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया था. इसमें विकास दुबे का खास अमर दुबे भी हमीरपुर में मारा गया था.

पुलिस ने उसकी पत्नी को गिरफ्तार करके साजिश में शामिल होने और फर्जी दस्तावेज से मोबाइल सिम लेने आदि मामलों में मुकदमे दर्ज किए थे. कानपुर देहात की अदालत में प्राथमिक सुनवाई के दौरान नाबालिग करार दिए जाने पर उसे जेल से राजकीय संप्रेक्षण गृह बाराबंकी शिफ्ट कर दिया गया था. इसके साथ उसका मामला किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई के लिए भेज दिया गया.

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बीते दिनों हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. घटना के तीन दिन पहले अमर दुबे की शादी हुई थी और बहू घर आई थी. इसके बाद अमर दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने और पुलिस द्वारा उसकी पत्नी की गिरफ्तारी की गई थी.

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