टूलकिट केस (Toolkit case) में छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाने के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया. कोरोना काल में कांग्रेस (Congress) के कथित टूलकिट का मामला संबित पात्रा ने उठाया था. इसके विरोध में कांग्रेस ने पुलिस में शिकायत दी थी. टूलकिट मामले को लेकर रमन सिंह (EX CM Raman Singh) और संबित पात्रा ने अपने खिलाफ राजधानी रायपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज FIR को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं.
टूलकिट केस : छत्तीसगढ़ के पूर्व CM रमन सिंह से पूछताछ करेगी पुलिस, भेजा नोटिस
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. याचिकाकर्ताओं की ओर से FIR को पूर्वाग्रह और राजनीति से प्रेरित बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की गई थी. जून में हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य को तीन हफ़्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और अंतरिम राहत के मसले पर निर्णय सुरक्षित कर लिया था.
बाद में हाईकोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने टूलकिट मामले में सिंह और पात्रा को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आगे की जांच-पड़ताल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी. 19 मई को कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ रायपुर में एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में रायपुर पुलिस ने रमन सिंह से पूछताछ की थी. संबित पात्रा को भी समन जारी किया था.
पुलिस ने आईपीसी की धारा 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 505 (1) (बी) (भय पैदा करने के इरादे से अफवाह फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया था
कांग्रेस ने AICC अनुसंधान विभाग का ‘फर्जी' लेटरहेड बनाने और ‘झूठी एवं मनगढंत' सामग्री छापने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी. वहीं बीजेपी का कहना था कि टूलकिट के जरिए कांग्रेस के नेताओं ने पीएम मोदी और देश की छवि खराब करने की कोशिश की.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में FIR को राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताया है. कोर्ट ने सरकार के लिए यह बताने के लिए कोई मौका नहीं दिया कि प्राथमिकी क्यों दर्ज की गई थी.
इस पर CJI एनवी रमना की बेंच ने कहा कि कई राज्यों में बड़ी संख्या में राजनीति से प्रेरित FIR दर्ज की गई हैं और SC ऐसे सभी मामलों से निपट नहीं सकता. अदालत ने अपील पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को याचिका पर फैसला करने दें. राज्य के पास अंतिम फैसले को चुनौती देने का अवसर होगा.