तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वह अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए "शादी के अपरिवर्तनीय टूटने" के आधार पर विवाह को तुरंत भंग कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को व्यवस्था दी कि वह जीवनसाथियों के बीच आई दरार भर नहीं पाने के आधार पर किसी शादी को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है.
न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, ‘‘हमने अपने निष्कर्षों के अनुरूप, व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है. यह सरकारी नीति के विशिष्ट या बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं होगा.''
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी भी शामिल हैं.
पीठ की ओर से न्यायमूर्ति खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हमने कहा है कि इस अदालत के दो फैसलों में उल्लेखित जरूरतों और शर्तों के आधार पर छह महीने की अवधि दी जा सकती है.''
अपना फैसला रखा था सुरक्षित
पीठ ने 29 सितंबर, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि सामाजिक बदलाव में 'थोड़ा समय' लगता है और कभी-कभी कानून लाना आसान होता है. लेकिन समाज को इसके साथ बदलने के लिए राजी करना मुश्किल होता है. अदालत ने सुनवाई को दौरान भारत में विवाह में एक परिवार की बड़ी भूमिका निभाने की बात को स्वीकार किया था.
पीठ इस बात पर भी विचार कर रही थी कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत इसकी व्यापक शक्तियां ऐसे परिदृश्य में किसी भी तरह से अवरुद्ध होती हैं, जहां किसी अदालत की राय में शादीशुदा संबंध इस तरह से टूट गया है कि जुड़ने की संभावना नहीं है लेकिन कोई एक पक्ष तलाक में अवरोध पैदा कर रहा है.
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दरअसल संविधान का अनुच्छेद 142 अदालत के समक्ष लंबित किसी भी मामले में ''पूर्ण न्याय'' करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी किए जाने से संबद्ध है. (भाषा इनपुट के साथ)
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