सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के द्वारका एक्सप्रेस वे (Dwarka Expressway in Delhi) पर नेशनल हाईवे के निर्माण कार्य (National highway construction) को रोकने की मांग पर विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने सोमवार को इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.सुप्रीम कोर्ट 27 अगस्त को सुनवाई करेगा कि निर्माण कार्य को रोका जाए या नहीं. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि दिन-रात निर्माण कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं, वह हरित क्षेत्र में बर्बादी कर रहे हैं.यहां पर किसी तरह की पर्यावरण मंज़ूरी (Environmental Clearance) या पेड़ काटने की अनुमति नहीं ली गई है.
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भूषण ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा कि किसी मौजूदा सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. पेड़ काटने, सार्वजनिक परामर्श या पर्यावरण मंजूरी के लिए बिना किसी वैध अनुमति के वे निर्माण के साथ जा रहे हैं. जो हो रहा है वह भयावह है और हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दिसंबर में रखी है.
शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिल एम आर शाह की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग कर सकते हैं. लेकिन याचिकाकर्ता के निर्माण को रोकने की मांग पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारा बेंगलूरू का आदेश देखें, हमने साफ कहा है कि मंजूरी लेना जरूरी है. अदालत ने नोटिस जारी किया और कहा कि 27 अगस्त को निर्माण कार्य रोकने की याचिका पर सुनवाई करेंगे.
द्वारका सेक्टर 22-23 में रोड नंबर 226 पर फ्लाईओवर के निर्माण के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI ) के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है. दरअसल सहकारी समूह हाउसिंग सोसाइटी (सीजीएचएस) और सेक्टर 22 और 23 के निवासियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पेड़ काटने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है. यहां लगभग 980 पेड़ और 1,500 झाड़ियां हैं और फ्लाईओवर निर्माण के लिए कोई अन्य अनिवार्य मंज़ूरी प्राप्त नहीं की गई है.