ED निदेशक संजय मिश्र का कार्यकाल बढ़ाने को चुनौती देने वाली याचिका पर SC सोमवार को करेगा सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि अगले सोमवार को सभी पक्ष तैयारी से आएं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन को एमाइकस क्‍यूरी (Amicus Curie) नियुक्त किया है.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय मिश्र के कार्यकाल को बढ़ाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ज्यादातर याचिकाएं उन राजनीतिक दलों के द्वारा लगाई गई हैं जिनके नेताओं के खिलाफ ईडी जांच कर रही है. ऐसे में ये जनहित याचिकाएं वास्तविक और प्रमाणिक न होकर दबाव बनाने का हथकंडा हैं. कोर्ट ने मेहता से कहा कि सरकार अपना जवाब तैयार रखे. कोर्ट अगले सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगा. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि सरकार का जवाब तैयार है. बस फाइल करने को थोड़ा समय चाहिए.  

कोर्ट ने कहा कि अगले सोमवार को सभी पक्ष तैयारी से आएं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन को एमाइकस क्‍यूरी (Amicus Curie) नियुक्त किया है. सुनवाई से पहले पूरे मामले की ब्रीफ देंगे. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई सोमवार को करेगा.

याचिकाओं में अध्यादेश को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है.  इनमें कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, TMC सासंद महुआ मोइत्रा, TMC नेता साकेत गोखले, मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव जया ठाकुर और वकील मनोहर लाल शर्मा शामिल हैं. CBI औरED निदेशकों के कार्यकाल को बढाने के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है 
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह याचिका दाखिल की है. अध्यादेशों को रद्द करने की मांग की गई है. इससे पहले TMC सांसद  महुआ मोइत्रा ने भी याचिका दाखिल की थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों के कार्यकाल को 5 साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले अध्यादेशों को चुनौती दी गई है.यह दावा करते हुए कि अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ हैं.

TMC के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. गोखले ने दावा किया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम की धारा 25 के तहत विस्तार अमान्य है. ये  कॉमन कॉज बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का घोर उल्लंघन है.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था  कि ED के निदेशक को कार्यकाल का कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि मिश्रा ने साल 2018, 2019 और 2020 के लिए अपने वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न (IPR) को समय पर अपलोड नहीं किया था, जो अधिकारियों की 'सतर्कता मंजूरी' के कारकों में से एक है. याचिका में अदालत से "न्याय के हित में" भारत के संविधान के लिए असंवैधानिक, मनमाना और विपरीत और सरकार द्वारा संविधान से धोखाधड़ी बताते हुए विस्तार देने वाले नोटिफिकेशन  पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश जाहिर तौर पर ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के मामले में 8 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है. 

मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव डॉ जया ठाकुर ने याचिका में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ED का दुरुपयोग कर रही है.राजनीतिक बदले की भावना से कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. दुनिया भर में कहीं भी दस साल तक कोई एजेंसी जांच नहीं करती. ये विपक्षी पार्टियों की छवि को खराब करने की कोशिश है. याचिका में केंद्र द्वारा ED निदेशक संजय मिश्रा को दिए सेवा विस्तार को रद्द करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया है कि अगर ऐसी नियुक्तियां पारदर्शी नहीं हुईं तो एजेंसियों को उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका वकील एम एल शर्मा ने दाखिल की है.

याचिका में कहा है कि केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक, मनमाना और संविधान के साथ धोखाधड़ी है. सदन में बहुमत के बिना सरकार को कोई अध्यादेश जारी करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने आठ सितंबर 2021 के अपने आदेश में ईडी के निदेशक के तौर पर मिश्रा के कार्यकाल में विस्तार करने के लिए केंद्र की शक्ति को बरकरार रखा था लेकिन, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु में पहुंचने के बाद अधिकारियों के कार्यकाल में विस्तार केवल अपवाद के मामलों में की किया जाना चाहिए. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ-साफ कहा था कि संजय कुमार मिश्रा को और अधिक कार्यकाल विस्तार नहीं दिया जा सकता है.. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर 2021 को प्रवर्तन निदेशालय ( ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था लेकिन कहा कि उन्हें और विस्तार नहीं दिया जा सकता. यहां तक ​​अदालत ने कहा था कहा था कि दुर्लभ और असाधारण मामलों में विस्तार दिया जा सकता है. "चल रही जांच को पूरा करने की सुविधा के लिए विस्तार की उचित अवधि दी जा सकती है लेकिन केवल कारणों को दर्ज करने के बाद. 

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