सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला स्‍तर के जज एक साथ... CJI डीवाई चंद्रचूड़ का ऐतिहासिक प्रयास

यह देश के इतिहास में अपनी तरह का पहला सम्मेलन है, जिसमें सभी उच्च न्यायालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देश भर की निचली अदालतों के 250 जिला न्यायाधीश एक साथ आ रहे हैं.

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पारंपरिक कोर्ट रूम की व्यवस्था से परे न्यायपालिका...
नई दिल्‍ली:

भारत में न्‍याय व्‍यवस्‍था को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. न्याय तक पहुंच बढ़ाने और आम लोगों के साथ सीधे संवाद को बढ़ावा देने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण भारत की एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू की है. जमीनी स्तर से जुड़ने के उद्देश्य से की गई इस ऐतिहासिक पहल के तहत न्यायपालिका के शीर्ष अधिकारी गुजरात के कच्छ क्षेत्र के रण (Rann Of Kutch) में दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए एकत्र हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला स्‍तर के जज एक साथ

यह देश के इतिहास में अपनी तरह का पहला सम्मेलन है, जिसमें सभी उच्च न्यायालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देश भर की निचली अदालतों के 250 जिला न्यायाधीश एक साथ आ रहे हैं। शनिवार और रविवार को चलने वाले इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और उनके साथी न्यायाधीश सीधे जिला न्यायाधीशों से जुड़ेंगे. सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं. विशेष महत्व की बात यह है कि भविष्य में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और सूर्यकांत को मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभाने की उम्मीद है. ऐसे में इस कार्यक्रम के आगे भी जारी रहने की उम्‍मीद है. 

पारंपरिक कोर्ट रूम की व्यवस्था से परे न्यायपालिका

सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक ऐसी न्यायपालिका की कल्पना की है, जो पारंपरिक अदालत कक्ष की व्यवस्था से परे सक्रिय रूप से आम लोगों तक पहुंचती है. इस विचार में जमीनी स्तर पर मुद्दों के समाधान के लिए कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है. ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई, संवैधानिक मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग और क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों के अनुवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट को उम्मीद है कि आम लोगों तक पहुंचने का यह अभियान पारदर्शी और सुलभ न्यायपालिका को बनाए रखने में भी मदद करेगा.

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न्यायपालिका और जनता के बीच की खाई को पाटने का प्रयास

सीजेआई से सहमति जताते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सहमति व्यक्त की कि आम जनता तक सीधे पहुंचना न्यायपालिका और जनता के बीच की खाई को पाटने का एक प्रभावी साधन है. इस कार्यक्रम में न्यायाधीशों के बीच चर्चा के बाद एक सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, जहां निचली अदालत के न्यायाधीशों के साथ सीधी बातचीत हो सकती है, जिसमें प्रौद्योगिकी, संसाधनों और अन्य तार्किक पहलुओं से संबंधित चिंताओं को संबोधित किया जा सकता है.

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कच्‍छ का रण ही क्‍यों...? 

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के आयोजन स्थल के रूप में गुजरात के कच्छ का चयन एक सावधानीपूर्वक लिया गया निर्णय था. सीजेआई चंद्रचूड़ ने साथी न्यायाधीशों के परामर्श से खुली चर्चा की सुविधा प्रदान करने और डिजिटल युग में न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए प्रभावी समाधान तैयार करने में सक्षम बनाने के लिए कच्छ को चुना. इसके अतिरिक्त, न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी, गुजरात से होने के कारण, प्रतिनिधिमंडल के लिए एक काफी सहायक थीं, जिससे स्थानीय गतिविधियों में कोई परेशानी नहीं होगी. 

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चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने जनता से जुड़ने के लिए इस नए दृष्टिकोण की शुरुआत की है, कच्छ में सम्मेलन एक अधिक समावेशी और उत्तरदायी न्यायपालिका को बढ़ावा देने का वादा करता है.

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