कोविड (Covid-19) से हुई मौत पर 50 हजार के मुआवजे का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोविड संक्रमण की वजह से मारे गए लोगों के आश्रित परिजनों के लिए तय 1100 करोड़ रुपए सहायता राशि को दूसरे मद में खर्च कर देने के मामले पर आंध्र प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को 13 मई तक इस पूरे मसले पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. नाराज कोर्ट ने राज्य सरकार को चेतावनी भी है कि ये उनके लिए आखिरी मौका है. इसके बाद उनको कोई मोहलत कोर्ट नहीं देगा. आरोप है कि आंध्र सरकार ने कोविड मदद के लिए तय राशि किसानों को सब्सिडी देने के लिए खर्च कर दी. इस बाबत राज्य के वित्त सचिव के जरिए हलफनामा भी दायर करने की कोशिश की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के लिए वकील ने कहा - 2018 में स्वीकृत कोविड आपदा प्रबंधन फंड से कोई राशि नहीं ली गई है, जो सूखा राहत के लिए थी. हम एक हलफनामे में सब कुछ बताएंगे. कुछ और समय के लिए अनुरोध करें.समस्या ये है कि वित्त सचिव के पिता अस्पताल में भर्ती हैं और वह उपलब्ध नहीं हैं. इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि सरकार वित्त सचिव द्वारा चलाई जाती है? हमें मुख्य सचिव का हलफनामा चाहिए.
वकील ने कहा कि हम चाहते थे कि वित्त सचिव की मंजूरी के बिना हलफनामा दायर न किया जाए . जस्टिस शाह ने कहा
उनका ऑफिस तो है ना? वह अपने दफ्तर के साथ (अस्पताल में अपने पिता को देखने के लिए) नहीं जाते हैं ना? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मुख्य द्वारा शपथ पत्र दाखिल किया जाए. ये अंतिम मौका दिया जा रहा है. 13 मई को मामले की सुनवाई करेंगे.
इससे पहले 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी. राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष ( SDRF) में कोविड मुआवजे के धन को राज्य सरकार के खातों में डायवर्ट करने पर आपत्ति जताई थी. अदालत ने राज्य सरकार के फंड डायवर्ट करने से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने राज्य को यह भी निर्देश दिया है कि यदि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत प्रदान किए गए किसी अन्य उद्देश्य से अलग फंड डायवर्ट किया गया है तो उसका उपयोग ना किया जाए. दरअसल TDP के पूर्व विधायक पल्ला श्रीनिवास राव ने अर्जी दायर कर आरोप लगाया था कि एपी सरकार SDRF से कोविड मुआवजे के लिए धन को राज्य सरकार के अन्य जमा खातों में भेज रही है ताकि चुनाव घोषणापत्र में वादा किए गए मुफ्त उपहार का भुगतान हो सके.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव बंसल ने दलील दी और कहा कि डायवर्जन आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन है. उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भी राज्य सरकार पर सवाल उठाया है और उसे सुधारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया है. यह मामला तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट कोविड से हुई मौत के के लिए 50,000 रुपये के कोविड मुआवजे के मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था.