मध्य प्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दो साल से करीब 24,000 सीटें खाली रहने पर हैरानी जताते हुए कहा कि यह राज्य में "कानून के शासन का उल्लंघन" है. अदालत ने कहा कि वह मध्यप्रदेश के लिए भी महाराष्ट्र की तरह आदेश पारित करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उसने स्थानीय चुनाव में OBC आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट मानदंडों को पूरा किया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओबीसी आरक्षण न देने पर "आसमान नहीं गिर पड़ेगा" राज्य सरकार शुक्रवार को अदालत को बताए कि उसने ट्रिपल टेस्ट पूरा किया है या नहीं.
अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर वह संतुष्ट नहीं हुई तो वो प्रदेश में बिना देरी के ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव कराने के आदेश देगी.वहीं पूरे मामले पर मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण संबंधित डेटा का फाइनल प्रारूप तैयार करने में पखवाड़ा तो लग ही जाएगा. उम्मीद है कि आंकड़ों को तुलनात्मक अध्ययन के साथ 25 मई तक तैयार कर लिया जाएगा. लिहाजा सरकार को थोड़ा समय दिया जाए.
पीठ ने संकेत दिया कि मध्य प्रदेश सरकार के संकलित आंकड़े और सर्वेक्षण अगर पूरे और संतोषजनक नहीं होने पर वहां भी महाराष्ट्र के लिए तय व्यवस्था के आधार पर चुनाव करवाने का आदेश दिया जाएगा. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि जल्द ही सरकार इस मामले में संबंधित डाटा एकत्र करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से शुक्रवार को ही डाटा संबंधित तमाम दस्तावेज भी तलब किए हैं.
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