सुप्रीम कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को लेकर नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज़मीन लेने के बाद उचित मुआवजा ना देना सामान्य हो गया है. सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद भी आप आदेशों का पालन नहीं करना चाहते हैं? हमने कई मामलों में देखा है कि आपने जमीन ली और मुआवजा नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 रुपये या 10 रुपये? ये अदालती आदेशों का पालन करने का तरीका नहीं है.
वहीं नोएडा अथॉरिटी की CEO माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट से मिला गिरफ्तारी से संरक्षण जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी की याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO ) रितु माहेश्वरी के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर 13 मई तक के लिए रोक लगा दी थी. साथ ही कोर्ट ने रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी थी. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को पीठ के लिए सूचीबद्ध किया जाए. इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना के मामले में गैर जमानती वारंट जारी किया गया था.
दरअसल नोएडा के सेक्टर-82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लॉज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था. इसे 82520 वर्ग मीटर जमीन की मालकिन दिल्ली हौजखास निवासी सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट कर्नल जेबी कुच्छल की पत्नी मनोरमा कुच्छल थीं. इसमें छह हजार वर्ग मीटर जमीन सिटी बस टर्मिनल के साथ सड़क साइट में दे दी गई. वहीं 2520 वर्ग मीटर सड़क बनाने में इस्तेमाल कर ली गई. प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता से 5060 प्रति वर्ग मीटर से मुआवजा लेने को कहा, लेकिन याचिकाकर्ता ने कहा कि सिटी बस टर्मिनल कॉमर्शियल प्रोजेक्ट है. लिहाजा मुआवजा मौजूदा डीएम सर्किल रेट के हिसाब से कामर्शियल का दिया जाना चाहिए. लेकिन प्राधिकरण नहीं माना. इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं करने पर मनोरमा कुच्छल ने नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी.
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