जम्मू-कश्मीर में 1980 से अब तक के मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करनी होगी : सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा.

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अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रावधान था : SC
370 को हटाने का अधिकार जम्मू-कश्मीर के एकीकरण के लिए है : CJI
हम 370 को निरस्त करने में कोई दुर्भावना नहीं पाते : CJI

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले को सोमवार को बरकरार रखा और कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. 
न्यायाधीश जस्टिस कौल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 1980 के दशक से जम्मू-कश्मीर में राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए सच्चाई और सुलह आयोग का गठन होना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है. शीर्ष अदालत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है.

सीजेआई ने कहा, "हम संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग को वैध मानते हैं." उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया और यह अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है.

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उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को स्थायी निकाय बनाने का इरादा कभी नहीं था.''प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 अंतरिम व्यवस्था थी. उन्होंने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.''

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विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए.'' प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए पांच अगस्त 2019 के केंद्र के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सर्वसम्मत, लेकिन तीन अलग-अलग फैसले सुनाए.

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संविधान पीठ तीन अलग-अलग, लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाने के लिए सुबह 10 बजकर 56 मिनट पर बैठी. न्यायमूर्ति कौल और न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने फैसले अलग-अलग लिखे. न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई करने के बाद पांच सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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