NEET ऑल इंडिया कोटा में EWS कोटे में आरक्षण की सुविधा लेने के लिए बुनियादी शर्त आठ लाख रुपए सालाना तक की आमदनी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. इस मामले की सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने सरकार से कहा कि इस नियम और शर्त का कोई आधार भी है या सरकार ने कहीं से भी उठाकर ये मानदंड शामिल कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि आखिर इसके आधार में कोई सामाजिक, क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या डेटा तो होगा? अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में जो लोग आठ लाख रुपये सालाना से कम आय वर्ग में हैं वो तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं, लेकिन संवैधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता. ये नीतिगत मामले हैं, जिनमें हम हाथ नहीं डालना चाहते. आपको यानी सरकार को अपनी जिम्मेदारी संभालना चाहिए. हम मुद्दे बता देंगे. कोर्ट ने आदेश दिया कि स्वास्थ्य, समाज कल्याण और कार्मिक मंत्रालय को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्ते में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसमें उनको ये बताना होगा कि EWS और OBC के लिए NEET परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण कोटे के क्या मानदंड है? यह बताते हुए कि OBC आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर के लिए 8 लाख रुपये मानदंड है, OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान मानदंड कैसे अपनाया जा सकता है, जबकि EWS में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसे लेकर कहा कि आपके पास कुछ जनसांख्यिकीय या सामाजिक या सामाजिक-आर्थिक डेटा होना चाहिए. आप पतली हवा से सिर्फ 8 लाख नहीं निकाल सकते. आप 8 लाख रुपये की सीमा लागू करके असमान को समान बना रहे हैं. OBC में 8 लाख से कम आय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से पीड़ित हैं. संवैधानिक योजना के तहत, EWS सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं हैं. ये नीतिगत मामला है, लेकिन न्यायालय इसकी संवैधानिकता निर्धारित करने के लिए नीतिगत निर्णय पर पहुंचने के लिए अपनाए गए कारणों को जानने का हकदार है. पीठ ने एक समय तो यह भी चेतावनी दी थी कि वह EWS अधिसूचना पर रोक लगा देगा.