दिल्ली सरकार Vs केंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने GNCTD (संशोधन) अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र को यह नोटिस जारी किया गया है और चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है. केजरीवाल बनाम केंद्र मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी.संशोधन मामले को संविधान पीठ भेजने का केंद्र का अनुरोध खारिज किया.अफसरों के ट्रांसफर - पोस्टिंग मामले में भी चार सप्ताह के बाद सुनवाई होगी.सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि पांच जजों को भेजे जाने की आवश्यकता है.मुझे लगता है कि हम तीनों मामले को सुलझा सकते हैं.यदि आप हमें दिखाएंगे कि पांच जजों को भेजा जाए तो देखेंगे.' केंद्र की ओर से ASG संजय जैन ने कहा कि याचिका पहले से ही दिल्ली HC के समक्ष लंबित है.
दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार GNCTD (संशोधन) अधिनियम 2021 (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI के समक्ष इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था.अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले के विपरीत और अनुच्छेद 239 एए के खिलाफ है.
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद दिल्ली में 'सरकार' का मतलब उप राज्यपाल हो गया है.गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक, अधिनियम के प्रावधान 27 अप्रैल,2021 से प्रभावी हैं. बीते साल 28 अप्रैल को दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ती स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली में GNCTD कानून को अमल में लाने की अधिसूचना जारी कर दी थी.गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया था कि- 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है.अब दिल्ली में सरकार का अर्थ उपराज्यपाल है.दिल्ली सरकार दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंज़ूरी देने की ताकत अब उपराज्यपाल के पास आ गई है. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी.इसके अलावा दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी वहीं अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.सेवाओं के नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच कानूनी विवाद से संबंधित मामला लंबित है.यह सेवाओं के मुद्दे से संबंधित मामला है जिसका उल्लेख सूची II की प्रविष्टि 41 में है
दिल्ली सरकार के मुताबिक संवैधानिक बेंच के फैसले के अनुसार, केवल 3 विषयों को केंद्र सरकार के क्षेत्र में रखा गया था - पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था.दो जजों की बेंच ने सेवा मामले में अलग- अलग विचार दिए और फिर तीन जजों को ये मामला भेजा गया.चूंकि संपूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण वर्तमान में केंद्र सरकार के पास है. ये यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.ये दिल्ली सरकार को अपनी नीतियों को संचालित करने और लागू करने की क्षमता में बाधा डालता है. फरवरी 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की दो- जजों की पीठ ने सेवाओं पर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की शक्तियों के सवाल पर एक विभाजित फैसला दिया और मामले को 3-न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया था तभी से ये मामला लंबित है.
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