'क्या सुब्रमण्यम समिति की सिफारिश लागू करने का इरादा है?', पर्यावरण सेवा याचिका पर SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वो जमीनी स्तर पर सभी परियोजनाओं में पर्यावरण सुरक्षा उपायों के अनुपालन के लिए उच्च अधिकार प्राप्त निकाय बनाना चाहता है ?

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'क्या सुब्रमण्यम समिति की सिफारिश लागू करने का इरादा है?', पर्यावरण सेवा याचिका पर SC ने केंद्र को भेजा नोटिस
समर विजय सिंह की ओर से दायर की गई थी याचिका
नई दिल्ली:

भारतीय पर्यावरण सेवा के गठन से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने समर विजय सिंह की याचिका पर ये नोटिस जारी किया है. नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या वो भारत पर्यावरण सेवा के निर्माण के लिए TSR सुब्रमण्यम समिति की सिफारिश को लागू करने का इरादा रखती है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वो जमीनी स्तर पर सभी परियोजनाओं में पर्यावरण सुरक्षा उपायों के अनुपालन के लिए उच्च अधिकार प्राप्त निकाय बनाना चाहता है ?

हालांकि SC ने संदेह व्यक्त किया कि क्या वो भारत पर्यावरण सेवा बनाने के लिए सरकार को आदेश दे सकता है. लेकिन कहा कि जांच की जा सकती है कि क्या केंद्र सिफारिशों को लागू करने का इरादा रखता है. 

क्या है पूरा मामला

दरअसल साल 2014 में, देश में पर्यावरण कानूनों की समीक्षा के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था. समिति की अध्यक्षता पूर्व कैबिनेट सचिव TSR सुब्रमण्यम ने की थी. पर्यावरण क्षेत्र में योग्य और कुशल मानव संसाधन लाने के लिए, समिति ने एक नई अखिल भारतीय सेवा- भारतीय पर्यावरण सेवा के निर्माण की सिफारिश की थी. 

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पर्यावरण की चिंताओं पर विचार और विभिन्न विकास परियोजनाओं पर पर्यावरण संरक्षण के ठोस उपाय करने के लिए अखिल भारतीय पर्यावरण सेवाओं के लिए संस्थान गठन करने की सिफारिशों पर अब तक अमल न हो पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ इस मामले में कोर्ट के दखल देने के मुद्दे पर संशय में थी. फिर कोर्ट ने कहा कि एक पड़ताल तो की ही जा सकती है कि केंद्र को पूर्व कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली कमेटी की सिफारिशें माननी ही पड़ेगी या समस्या के समाधान का कोई दूसरा और ज्यादा कारगर विकल्प भी तलाश सकती है.

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