सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाई है. अदालत ने महिला की जमानत याचिका में कानून के विपरीत दलीलें देने पर ED को जमकर आलोचना की. कोर्ट ने ED के तर्कों को अस्वीकार करते हुए इस पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई है और कहा कि वह केंद्र की ओर से कानून के विपरीत कानूनी दलीलें बर्दाश्त नहीं करेगा. कोर्ट ने ED की यह दलील खारिज करते हुए टिप्पणी की कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 45 के प्रावधान किसी महिला पर लागू नहीं होंगे.
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, "हम केंद्र की ओर से कानून के विपरीत दलीलें देने के आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की मंशा यह प्रतीत होती है कि किसी भी तरह से जमानत से इनकार किया जाए, जिसके कारण इस तरह की दलीलें दी जा रही हैं.
इससे पहले, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) सत्यदर्शी संजय ने मामले में दलील दी थी, जबकि अब एसजी तुषार मेहता ने इस मामले में पेश होकर कहा कि यह धारा महिलाओं पर लागू होती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कानून के बुनियादी प्रावधानों को नहीं जानते हैं, तो उन्हें क्यों पेश होना चाहिए?"