'कैश फॉर जॉब' मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के जज को मामले की सुनवाई से हटा दिया है. साथ ही हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दूसरे बेंच में मामले को भेजने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को जज के इंटरव्यू की रिपोर्ट देखने के बाद ये फैसला लिया.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी लंबित केस में जज इंटरव्यू नहीं दे सकते. जजों के पास उनके समक्ष लंबित मामलों के संबंध में साक्षात्कार देने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने पूछा है कि क्या कलकत्ता हाईकोर्ट के जज ने किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. यदि ऐसा है तो वह कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते, तो वो जज याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले की सुनवाई करने से अक्षम हैं. अभी हम मामले के गुण-दोष में नहीं पड़ रहे हैं. जज हमें सिर्फ यह बताएं कि उन्होंने साक्षात्कार दिया है या नहीं.
समलैंगिक विवाह : केंद्र की दलीलों के बाद पीछे हट रहा है सुप्रीम कोर्ट?
दरअसल कैश-फॉर-जॉब मामले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. अभिषेक बनर्जी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि कैसे एक सिटिंग जज द्वारा मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया गया.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि
जजों को उन मामलों में नहीं बोलना चाहिए, जो उसके समक्ष सुनवाई के लिए लंबित हैं. जजों को ऐसे मामले में बिल्कुल भी शामिल नहीं होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल शुक्रवार से पहले इस मामले में हलफनामा दाखिल करें. सीजेआई ने कहा कि सवाल यह है कि क्या जजों को साक्षात्कार के दौरान मामले सुनने की अनुमति दी जा सकती है? शुक्रवार को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.
ये भी पढ़ें:
"...क्रूरता को मंजूरी देना" : 25 साल से अलग रह रहे दंपति की शादी सुप्रीम कोर्ट ने की भंग
डिफॉल्ट बेल के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, जांच एजेंसियों को दिए ये निर्देश