सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एमएसपी और किसानों की चिंताओं से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में 5 सदस्यीय पैनल का गठन किया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पैनल से शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर बैरिकेटिंग को हटाने के लिए किसानों से बातचीत करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण करने से बचें. साथ ही कहा कि कोर्ट द्वारा गठित पैनल के साथ अपनी बैठकों में पूरी तरह से अनुचित मांगें न रखें.
सुप्रीम कोर्ट ने समिति से आग्रह किया कि वह आंदोलनकारी किसानों से संपर्क करे और उनसे अनुरोध करे कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग पर शंभू बॉर्डर से अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियां आदि हटा लें, जिससे आम जनता को राहत मिल सके.
साथ ही अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को अपने आंदोलन को अधिकारियों द्वारा चिह्नित किसी वैकल्पिक स्थल पर स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता है.
राजनीतिक दलों से दूर रहने के लिए कहा
पीठ ने किसानों को राजनीतिक दलों से दूर रहने की चेतावनी दी और कहा कि किसानों के विरोध का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि दोनों राज्यों में कृषि समुदाय की बड़ी आबादी हाशिए पर पड़े समुदायों से संबंधित है और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है और सहानुभूति की हकदार है.
इसलिए पीठ ने कहा कि उन्हें लगा कि उनके मुद्दों पर विचार करने के लिए एक तटस्थ समिति गठित की जानी चाहिए.
कौन-कौन हैं समिति में
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति के अध्यक्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस नवाब सिंह हैं. वहीं इसके सदस्यों में हरियाणा के पूर्व महानिदेशक और सेवानिवत्त आईपीएस पीएस संधू, जीएनटी अमृतसर में प्रोफेसर देवेंद्र शर्मा और कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह शामिल हैं.
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