सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मामले में सुनवाई बंद कर दी है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि अध्यादेश खत्म हो गया है और चुनाव रद्द हो गए हैं, इसलिए ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है. जब भी चुनाव आयोग स्थानीय चुनाव कराए तो वो आरक्षण देने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट का पालन करे. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्यप्रदेश मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण के मामले के साथ ही होगी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि ओबीसी आरक्षण को लेकर एडवाइजरी तमाम राज्यों को जारी की जाए.
तुषार मेहता ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर बनाई गई एडवाइजरी तमाम राज्यों को भेज दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण रद्द करने के फैसले के बाद मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव निरस्त कर दिए गए हैं. दरअसल, 17 दिसंबर 2021 को मध्यप्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
अदालत ने कहा था कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव कराए जाएं.
'महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों का निलंबन सही या नहीं?'- SC ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा था कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं. ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें. कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में सुप्रीम कोर्ट चुनाव को रद्द भी कर सकता है.
'सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय की याचिका बीजेपी प्रायोजित', अखिलेश यादव ने कहा