सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड को डीएनडी पर विज्ञापन के होर्डिंग्स लगाने की इजाजत दी

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी ध्यान में रखा, जिसके जरिए कंपनी को टोल वसूलने से रोका गया था. लेकिन ब्रिज के मेंटेनेंस के लिए विज्ञापन के जरिए होने वाली आमदनी की इजाजत कंपनी को मिली थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा विकास प्राधिकरण की अर्जी पर विज्ञापन हटाने का आदेश पिछले साल 15 अक्टूबर को दिया था
नई दिल्ली:

दिल्ली नोएडा डायरेक्ट यानी डीएनडी फ्लाईवे पर नोएडा वाले हिस्से में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड को विज्ञापन के होर्डिंग्स लगाने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए ये आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा विकास प्राधिकरण की अर्जी पर टोल रोड से सारे विज्ञापन हटाने का आदेश पिछले साल 15 अक्टूबर को दिया था.

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नोएडा प्राधिकरण ने टोल कम्पनी पर 26 करोड़ रुपए बकाया का दावा कर रखा है. प्राधिकरण का कहना है कि कंपनी लाइसेंसिंग नीति के मुताबिक विज्ञापन की लाइसेंस फी का भुगतान नहीं कर रही है, जबकि कंपनी और प्राधिकरण के बीच का करार कब का ही खत्म हो चुका है. कम्पनी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ भटनागर ने दलील दी कि पहले ही हमें नुकसान पहुंचाने के मकसद से टोल नाके से कम्पनी की संपत्ति जब्त की गई, अब हमारे पास सिर्फ विज्ञापन ही जरिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 26 अक्तूबर 2016 के उस आदेश को भी ध्यान में रखा जिसके जरिए कंपनी को टोल वसूलने से रोका गया था. लेकिन ब्रिज के मेंटेनेंस के लिए विज्ञापन के जरिए होने वाली आमदनी की इजाजत कंपनी को मिली थी, ताकि ट्रैफिक और सिक्योरिटी को लेकर कोई दिक्कत ना हो.

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सुनवाई के दौरान ये भी दलील दी गई कि नोएडा प्राधिकरण ने लाइसेंस फीस में भी 2010 में ₹ 50 प्रति वर्ग फुट के मुकाबले 2013 में ₹125 प्रति वर्ग फुट बढ़ा दी गई. अप्रैल 2018 में इसे ₹300 प्रति वर्ग फुट तक बढ़ा दिया गया. ये बढ़ोतरी 2010 के मुकाबले पांच सौ फीसदी थी. पीठ ने प्राधिकरण को अगले आदेश तक कम्पनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ना करने को कहा है. अगली सुनवाई मार्च में होगी.

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