देश की सर्वोच्च अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में M3M के निदेशक बसंत और पंकज बंसल को बड़ी राहत मिली है. बसंत और पंकज दोनों को ही कोर्ट ने जमानत दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के ईडी द्वारा गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द करने से इनकार करने वाले आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा किवह इसे स्पष्ट करते हैं कि सिर्फ रिमांड का आदेश पारित करना गिरफ्तारी के आधार को मान्य करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 167 का अनुपालन आवश्यक रूप से करना होगा. मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने में ईडी की कार्रवाई निष्पक्ष मानी जाती है, प्रतिशोधात्मक नहीं. अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार प्रस्तुत करने के संबंध में ईडी द्वारा समान प्रथा का पालन नहीं गया.
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क्या है पूरा मामला?
प्रवर्तन निदेशालय ने10 जून को कथित धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में गुरुग्राम की रियल्टी कंपनी एम3एम (M3M) के निदेशक रूप कुमार बंसल को गिरफ्तार किया था.जांच एजेंसी ने एक जून को एम3एम ग्रुप और उसके निदेशकों के साथ ही एक अन्य रियल एस्टेट समूह आइरियो के खिलाफ दिल्ली और गुरुग्राम में रेड मारी थी. ईडी ने बयान में कहा था कि छापे में 60 करोड़ रुपये की कीमत की फेरारी, लैम्बॉर्गिनी एवं बेंटले जैसी लग्जरी गाड़ियां जब्त की गईं.
निवेशकों से मिले पैसे के दुरुपयोग का आरोप
ईडी का आरोप था कि एम3एम ग्रुप के निदेशकों बसंत बंसल, रूप कुमार बंसल, पंकज बंसल और अन्य प्रमुख लोग तलाशी अभियान के दौरान जांच-पड़ताल से जानबूझकर बचते रहे. एजेंसी पिछले कुछ सालों से आइरियो समूह के खिलाफ धन को दूसरी जगह लगाने और निवेशकों से मिले पैसे के दुरुपयोग के आरोपों की जांच कर रही है. ईडी को जांच में पता चला था कि सैकड़ों करोड़ रुपये एम3एम ग्रुप के जरिए भी भेजे गए थे. ऐसे ही एक लेनदेन में 400 करोड़ रुपये कई कंपनियों से होते हुए एम3एम को आइरियो से मिले थे.
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