उत्तरी सीमा पर हालात स्थिर, लेकिन संवेदनशील: सेना प्रमुख जनरल पांडे

एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि भारत का भूटान के साथ एक अनूठा द्विपक्षीय संबंध है जो ‘अत्यधिक विश्वास, सद्भावना और परस्पर तालमेल’ पर आधारित है. उन्होंने कहा, ‘‘भूटान और हम (भारत) परस्पर सुरक्षा चिंताओं को साझा करते हैं जिससे हम दोनों अवगत हैं. सीमा विवाद पर जारी वार्ता पर हम करीबी नजर रखे हुए हैं.’’

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नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति ‘स्थिर' लेकिन ‘संवेदनशील' है और भारतीय सैनिक किसी भी अकस्मात स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अभियानगत तैयारियों को बहुत उच्च स्तर पर रखे हुए हैं. सेना दिवस से पहले संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने यह भी कहा कि भारत और चीन 2020 के मध्य से पूर्व की स्थिति में लौटने के लक्ष्य से सैन्य व राजनयिक स्तर की वार्ताएं जारी रखे हुए है.

उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरी सीमा पर हालात स्थिर लेकिन संवेदनशील हैं. हम शेष मुद्दों का समाधान तलाशने के लिए स्थापित प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं के अनुसार सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर बातचीत जारी रखे हुए हैं.'' सेना दिवस 15 जनवरी को मनाया जाता है.

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी अभियानगत तैयारियां उच्च स्तर की हैं. सैनिकों की तैनाती मजबूत और संतुलित है.'' उन्होंने कहा कि उनकी सेना सभी इलाकों में पर्याप्त उपस्थिति बनाये हुए है ताकि यह किसी भी अकस्मात स्थिति से निपट सके. यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की संख्या को कम करने का प्रयास किया जाएगा, उन्होंने कहा कि प्राथमिक जोर 2020 में गतिरोध शुरू होने से पहले की यथास्थिति में लौटना है.

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में हमारी कोशिश 2020 के मध्य से पूर्व की स्थिति में वापस जाने के लिए बातचीत जारी रखने की है. और एक बार ऐसा होने पर हम सैनिकों की संख्या में कटौती के बड़े मुद्दे पर विचार कर सकते हैं. एलएसी पर जब तक जो कुछ भी सैनिक तैनात करने की जरूरत पड़ेगी, हम करते रहेंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘पहला लक्ष्य हासिल हो जाने के बाद हम अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.''

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच टकराव के कई स्थान हैं जिन पर पिछले तीन वर्ष से गतिरोध कायम है. हालांकि राजनयिक और सैन्य स्तर की कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई स्थानों से सैनिकों को वापस बुला लिया है. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया.

क्षेत्र में एलएसी पर प्रत्येक पक्ष के वर्तमान में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं. जम्मू कश्मीर के हालात पर जनरल पांडे ने कहा कि घुसपैठ की कोशिश की कई घटनाएं हुई हैं इसके बावजूद नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम कायम है.

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उन्होंने कहा,‘‘ हम नियंत्रण रेखा के पास घुसपैठ की कोशिशें नाकाम कर रहे हैं.'' जनरल पांडे ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन राजौरी-पुंछ सेक्टर में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ी हैं.

विभिन्न आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान का सहयोग मिलने का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए जनरल पांडे ने कहा कि सीमा पार आतंक फल-फूल रहा है. जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ में आतंकवादी गतिविधियों पर सेना प्रमुख ने कहा, यह वो क्षेत्र है जहां हमारा विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा देने में सक्रिय है.

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सेना प्रमुख ने कहा कि अग्निवीरों को सेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल के समग्र आधुनिकीकरण के तहत 2024 भारतीय सेना के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने का साल होगा. भूटान और चीन के अपने सीमा विवाद का शीघ्र समाधान करने पर गौर करने के बीच जनरल मनोज पांडे ने कहा कि घटनाक्रम पर करीबी नजर रखी जा रही है.

एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि भारत का भूटान के साथ एक अनूठा द्विपक्षीय संबंध है जो ‘अत्यधिक विश्वास, सद्भावना और परस्पर तालमेल' पर आधारित है. उन्होंने कहा, ‘‘भूटान और हम (भारत) परस्पर सुरक्षा चिंताओं को साझा करते हैं जिससे हम दोनों अवगत हैं. सीमा विवाद पर जारी वार्ता पर हम करीबी नजर रखे हुए हैं.''

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सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम भूटान में अपने मित्रों के साथ पारदर्शी और नियमित आधार पर बात कर रहे हैं.'' सीमा विवाद पर भूटान और चीन के बीच वार्ताओं पर नयी दिल्ली करीबी नजर रखे हुए है क्योंकि इसका भारत के सुरक्षा हितों पर, विशेष रूप से डोकलाम क्षेत्र में प्रभाव पड़ सकता है.

भारत-म्यांमा सीमा पर स्थिति के बारे में जनरल पांडे ने कहा कि म्यामां के सशस्त्र जातीय समूहों और सरकारी बलों के बीच लड़ाई से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर वहां के लगभग 416 सैनिक भारत में आ गए थे. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना घटनाक्रम पर “पैनी नजर” रख रही है.

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कथित तौर पर जुंटा (सैन्य सरकार) विरोधी समूहों ने भारत के साथ म्यामां की सीमा के पास कई प्रमुख शहरों, सैन्य ठिकानों पर नियंत्रण कर लिया है और अस्थिर स्थिति ने म्यामां के कई नागरिकों को मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर किया है.

सेना प्रमुख ने कहा, “वह (भारत-म्यामां सीमा पर स्थिति) हमारे लिए चिंता का विषय है. आप पिछले कुछ महीनों में म्यामां सेना और जातीय सशस्त्र संगठनों तथा पीडीएफ (पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज) की गतिविधियों से अवगत हैं.”

जनरल पांडे ने कहा, “भारत-म्यामां सीमा पर स्थिति चिंताजनक है क्योंकि कुछ विद्रोही समूह भी हैं, जो दबाव महसूस कर रहे हैं और अब मणिपुर राज्य में सीमा के हमारी ओर आने का प्रयास कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “मणिपुर की स्थिति के साथ मिलकर हम इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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