शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)से मुलाकात कर सकते हैं. ऐसी अटकलें हैं कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा होने के बाद कांग्रेस और शिवसेना व्यापक 'अंडरस्टेडिंग' की ओर बढ़ रही हैं. हालांकि शिवसेना के सूत्रों ने इस बैठक को 'रूटीन' बताते हुए कहा है कि पार्टी लीडरशिप अकसर ही महाराष्ट्र के सेना-एनसीपी-कांग्रेस अलायंस में समन्वय से संबंधित मुद्दों को लेकर राहुल के साथ संपर्क में रहता है.
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कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सेना, अगले वर्ष होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को समर्थन कर सकती है, वैसे शिवसेना की इनमें से कुछ राज्यों, जैसे पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नहीं के बराबर ही मौजूदगी है लेकिन कांग्रेस को 'संभावित' समर्थन, पार्टी की राजनीतिक विचारधारा में आश्चर्यजनक बदलाव का संकेत हो सकता है. इन दोनों की पूर्व की छवि, विपरीत विचारधारा वाली पार्टी के तौर पर रही है . यह बैठक, बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना की ओर से बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा किए गए हमलों से कांग्रेस के 'बचाव' के कुछ दिन बाद हो रही है. मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान ममता ने 'यूपीए क्या' कमेंट करते हुए वर्ष 2004 से 2014 के बीच केंद्र में सत्ता में रहे कांग्रेस नीत गठबंधन के अस्तित्व पर सवाल उठाया था.
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ममता के इस कमेंट को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' ने तीखा संपादकीय लिखा था. सामना में संपादकीय में यह भी कहा गया था कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना और इसके बिना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के समानांतर विपक्षी गठबंधन बनाना सत्तारूढ़ भाजपा और "फासीवादी" ताकतों को मजबूत करने के समान है. इसमें कहा गया था कि यह सही है कि ममता बनर्जी ने बंगाल में कांग्रेस, वामपंथी दल और बीजेपी का सफाया कर दिया है लेकिन कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से बाहर रखना एक तरह से मौजूदा फासीवादी ताकतों को मजबूत करना ही होगा. पीएम मोदी और उनकी बीजेपी को भी लगता है कि कांग्रेस का 'सफाया' होना चाहिए. यह उनके एजेंडे का हिस्सा है. संपादकीय में राहुल गांधी पर ट्वीट के जरिये निशाना साधने के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भी आड़े हाथ लिया गया था.