वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी बने भारत के नए अटॉर्नी जनरल

वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणी सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रहे हैं. अप्रत्यक्ष कर मामलों में उनका अनुभव बेजोड़ है.

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नई दिल्‍ली:

वरिष्ठ वकील आर. वेंकटरमणी देश के अगले अटार्नी जनरल होंगे. केंद्र सरकार की ओर से यह नियुक्ति की गई है. उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा. 13 अप्रैल 1950 को पांडिचेरी (अब पुडुच्‍चेरी) में जन्‍मे वेंकटरमनी जुलाई 1977 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में बतौर वकील शामिल हुए. वर्ष 1979 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. वर्ष 1997 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्‍हें वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया. वेंकटरमणी को 2010 के विधि आयोग के सदस्य के रूप में और फिर से वर्ष 2013 में एक और कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया. जस्टिस एम एन वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान समीक्षा आयोग के कार्य में शामिल थे. समान अवसर आयोग की स्थापना पर रिपोर्ट में भी उन्‍होंने योगदान दिया. वे आजीवन सदस्य के रूप में कई वकील संघों की गतिविधियों में शामिल रहे हैं. 

वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणी सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रहे हैं. अप्रत्यक्ष कर मामलों में उनका अनुभव बेजोड़ है. उन्हें 2010 में भारत के विधि आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. वह दशकों से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों के लिए विशेष वरिष्ठ वकील के रूप में काम करते रहे हैं. वित्त मंत्रालय, रेल मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई अवसरों पर विशेष वकील के रूप में इनकी सेवाएं ली हैं. न्यायालय के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के वकील; एक समान अवसर आयोग की संरचना और कार्यों की जांच और निर्धारण करने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह के सह-चयनित सदस्य रहे हैं. उन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की आचार समिति का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया था. कई वकील संघों के सदस्य सह पदाधिकारी रहने के साथ-साथ वे इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ के आजीवन सदस्य भी हैं.

सोसाइटी के वार्षिक ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रमों के लिए संसाधन व्यक्ति और सोसाइटी की परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा करने वाले आयोग द्वारा गठित राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों पर अध्ययन के लिए बनाई उप-समिति के सदस्य भी रहे हैं.  वह मई 2002 में बर्लिन में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद भोजन के अधिकार पर एक उपकरण का मसौदा तैयार करने में लगे अंतर्राष्ट्रीय कार्य समूह से भी जुड़े हुए हैं. उन्हें नेपाली संविधान प्रारूपण और अनुभव साझा करने के अभ्यास (2008) में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया गया था. उनके लिखे कई ग्रंथों का प्रकाशन हो चुका है. 

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