सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के पास फ्लोटिंग जेटी परियोजना पर दखल देने से इनकार कर दिया है. फ्लोटिंग जेटी परियोजना के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट इस मामले को सुन रहा है. हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. हालांकि हम हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह इस पर 2025 के मानसून के समाप्त होने से पहले निर्णय ले. CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा, हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. हर कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चाहता है, लेकिन 'मेरे घर के पीछे नहीं'. शहर में कुछ अच्छा हो रहा है. तटीय सड़कों का फायदा देखिए. पहले दक्षिण बॉम्बे जाने वाले व्यक्ति को 3 घंटे लगते थे. अब 40 मिनट लगते हैं.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परियोजना बिना किसी पूर्व सार्वजनिक अधिसूचना, परामर्श या स्थानीय हितधारकों के साथ सहभागिता के शुरू की गई. वकील ने कोर्ट की इस टिप्पणी का भी विरोध किया कि याचिकाकर्ताओं ने परियोजना के बारे में पहले से जानते हुए भी अंतिम समय में कोर्ट से संपर्क किया.
क्या है पूरा मामला
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के प्रतिष्ठित गेटवे ऑफ इंडिया के पास बन रहे विवादास्पद यात्री जेटी और टर्मिनल प्रोजेक्ट के निर्माण को रोकने से इनकार कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा प्रतिष्ठित गेटवे ऑफ इंडिया पर विवादास्पद जेटी और टर्मिनल प्रोजेक्ट के निर्माण पर रोक लगाने से इनकार करने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. यह याचिका कफ परेड रेजिडेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष लॉरा डिसूजा ने दायर की है.
इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के 7 और 8 मई के आदेशों को चुनौती दी है, जिसमें चल रहे निर्माण को रोकने के लिए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया था. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इस परियोजना से कोलाबा क्षेत्र के 2.1 लाख से अधिक निवासी प्रभावित होंगे. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने इसमें शामिल व्यापक जनहित और निर्माण से होने वाली अपूरणीय क्षति पर विचार करने में विफल रहा.