'प्रतिभा जाया नहीं होने दे सकते' : दलित छात्र को एडमिशन देने के लिए IIT धनबाद को SC का आदेश

छात्र गरीब होने के कारण समय पर फीस जमा नहीं कर पाया था. इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी बात मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ के सामने रखी.

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नई दिल्ली:

गरीब छात्र के भविष्य के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है. कोर्ट ने IIT धनबाद को छात्र को दाखिला देने का आदेश दिया है. समय पर 17,500 रुपये की फीस नहीं भर पाने के कारण उसका दाखिला नहीं हो पाया था. कोर्ट ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्रों को निराश नहीं किया जाना चाहिए. CJI डी.वाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद छात्र को कहा, 'ऑल द बेस्ट... अच्छा करिए' 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में रहने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने कड़ी मेहनत करके JEE एडवांस्ड की परीक्षा पास की थी. छात्र को IIT धनबाद में दाखिला लेना था, लेकिन केवल 17 हजार 500 रुपये नहीं जमा कर पाने के कारण उसका दाखिल नहीं हो सका और सीट भी उसके हाथ से चली गई.

मजबूर छात्र और उसके पिता ने यूनिवर्सिटी से लेकर एससी-एसटी आयोग, झारखंड हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के चक्कर काटे, लेकिन 3 महीने तक दौड़ने के बाद भी जब उसको कुछ हासिल नहीं हुआ तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

आईआईटी धनबाद में सीट मिलने के बाद फीस जमा करने की आखिरी तारीख में केवल 4 दिन का समय बचा था. 24 जून को शाम 5 बजे तक पिता को बेटे की फीस जमा करनी थी. राजेंद्र किसी तरह 24 जून को शाम करीब 4:45 बजे तक पैसे का इंतजाम कर पाए, चूंकि समय कम था, इसलिए उन्होंने पैसा अतुल के भाई के बैंक अकाउंट में जमा करवा दिया.

अतुल ने  वेबसाइट पर जरूरी दस्तावेज अपलोड कर दिए, लेकिन जब तक वो फीस जमा करता अंतिम तारीख के 5 बज चुके थे. उसका IIT में दाखिला लेने का सपना खत्म हो गया.

वहीं अब इस मामले में अतुल और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अतुल ने अपनी बात मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ के सामने रखी. CJI चंद्रचूड़ की पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी, आईआईटी एडमिशन और आईआईटी मद्रास से जवाब मांगा था.

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